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५ जीव पदार्थ विशेष
१०३ निकटवाली पृथ्वीमे नमो देखी जाती है, जो कि उस वक्षके द्वारा चारो औरका पानी खीचकर एकत्रित करते रहनेके कारण ही होती है।
इस प्रकार वनस्पतिमे निश्चित रूपसे जीवत्वकी सिद्धि होती है। क्योकि मरे हुए वृक्षो अर्थात् ढूँठोमे अथवा कटी हुई लकडीमे ये लक्षण देखनेको नही मिलते, इसलिए वे मृत हैं।
पृथ्वीमे यद्यपि वनस्पतिकी भाँति चारो बातें दिखाकर निश्चित रूपसे तो जीवत्वकी सिद्धि नही की जा सकती, परन्तु खानमे रहनेपर ही खनिज पदार्थ वृद्धि पाते है खानसे बाहर निकलनेपर नही, यह एक लक्षण ही ऐसा है जिसपर-से कि यह जाना जाता है कि खानमे रहनेवाला पदार्थ जीवित था और काटकर वहांसे बाहर निकाल देनेपर वह मर गया है । इसके अतिरिक्त खानमे कुछ प्राकृतिक खराबियाँ उत्पन्न हो जानेपर भी वृद्धि रुक जाती है या कम हो जाती है, जिससे प्रतीत होता है कि खानके शरीरमे रोग हो गया है और उसका इलाज भी किया जाता है। इन लक्षणोपरसे जीवत्वकी सिद्धि होती है। खानमे रहते हुए ही पदार्थ जीवित है बाहर निकलनेपर नही ।
जल, अग्नि तथा वायु पृथ्वीसे भी अधिक सूक्ष्म है, अतः इनमे जीवत्वकी सिद्धिके योग्य लक्षण हमे दिखाई नही देते। परन्तु सूक्ष्म दृष्टिवाले योगीजन इनमे भी जीवत्वका प्रत्यक्ष करते हैं। जल तथा वायुके जीवत्वसे तात्पर्य उन क्षुद्र कीडोसे नही है जो कि इनमे रहते है और जिनका साक्षात् माइक्रोस्कोपसे होता है । वे तो पृथक् जीव हैं जो कि इनमे पृथक्से पैदा होते हैं। उन सबका अपना-अपना स्वतन्त्र जीवत्व है, जिस प्रकार कि हमारे शरीर तथा पेटमे रहने वाली कृमि-राशि । जल तथा वायु नामके जो पदार्थ हैं, जिससे कि