SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचास्तिकाय शुद्धोपयोगी जीवोंका वर्णन जस्स ण विज्जदि रागो, दोसो मोहो व सव्वदव्वेसु । ३५ णासवदि सुहं असुहं, समसुहदुक्खस्स भिक्खुस्स । । १४२ ।। जिसके सब द्रव्योंमें न राग है, न द्वेष है, न मोह है, सुख-दुःखमें मध्यस्थ रहनेवाले उस भिक्षुके शुभ और अशुभ -- दोनों प्रकारका आस्रव नहीं होता । । १४२ ।। जस्स जदा खलु पुण्णं, जोगे पावं च णत्थि विरदस्स । संवरणं तस्स तदा, सुहासुहकदस्स कम्मस्स । । १४३ ।। समस्त परद्रव्योंका त्याग करनेवाले व्रती पुरुषके जब पुण्य और पाप दोनों प्रकारके योगों का अभाव हो जाता है तब उसके पुण्य और पाप योगके द्वारा होनेवाले कर्मोंका संवर हो जाता है । ।१४३ ।। संवरजोगेहिं जुदो, तवेहिं जो चिट्ठदे बहुविहेहिं । कम्माणं णिज्जरणं, बहुगाणं कुणदि सो णियदं । । १४६ ।। जोवर और शुद्धोपयोगसे युक्त होता हुआ अनेक प्रकारके तपोंमें प्रवृत्ति करता है वह निश्चय ही बहुतसे कर्मोंकी निर्जरा करता है । । १४४ ।। जो संवरेण जुत्तो, अप्पट्ठपसाधगो हि अप्पाणं । मुणिऊण झादि णिदं णाणं सो संधुणोदि कम्मरयं । । १४५ ।। आत्माके प्रयोजनको सिद्ध करनेवाला जो पुरुष संवरसे युक्त होता हुआ आत्माको ज्ञानस्वरूप जानकर उसका ध्यान करता है वह निश्चित ही कर्मरूप धूलिको उड़ा देता है -- नष्ट कर देता है । । १४५ ।। जस्स ण विज्जदि रागो, दोसो मोहो व जोगपरिकम्मो । तस्स सुहासुहडहणो, झाणमओ जायए अगणी । । १४६ । । जिसके न राग है, न द्वेष है, न मोह है और न ही योगोंका परिणमन है उसके शुभ अशुभ कर्मोंको जलानेवाली ध्यानरूपी अग्नि उत्पन्न होती है। कर्मबंधका कारण जं सुहमसुहमुदिण्णं, भावं रत्तो करेदि जदि अप्पा | सो तेण हवदि बंधो, पोग्गलकम्मेण विविहेण । । १४७ । । यह आत्मा पूर्व कर्मोदयसे होनेवाले शुभ-अशुभ परिणामोंको करता है तब अनेक पौद्गलिक कर्मों के साथ बंधको प्राप्त होता है । । १४७ ।। जोगणिमित्तं गहणं, जोगो मणवयणकायसंभूदो । भावणिमित्तो बंधो, भावो रदिरागदोसमोहजुदो । । १४८ । ।
SR No.009555
Book TitleKundakunda Bharti
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year2007
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size92 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy