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________________ प्रकाशकीय पूज्य गुरुवर श्री जिनेन्द्र वर्णी जी द्वारा लिखित इस लघुकाय ग्रन्थ का पंचम संस्करण प्रकाशित करवाते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है। श्रुतज्ञान के पारगामी कर्म सिद्धान्त के मर्मज्ञ परम श्रद्धेय गुरुवर ने इस छोटी सी पुस्तक में कर्म सिद्धान्त जैसे कठिन व व्यापक विषय को सरल और संक्षिप्त भाषा में निबद्ध करके जिज्ञासुओं को उपकृत किया है। इस पुस्तक के पहले चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं परन्तु इसे पढ़ने की जिज्ञासा आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसी का परिणाम पंचम संस्करण के रूप में यह पुस्तक हमारे हाथ में है। श्री जिनेन्द्र वर्णी ग्रन्थमाला की स्थापना २३ मई सन् १९८१ में परम श्रद्धेय गुरुदेव के सान्निध्य में हुई थी। तब से अब तक पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित सभी ग्रन्थ इस ग्रन्थमाला से छपते रहे हैं। १९९२ से अब तक की अल्पअवधि में प्रकाशित निम्न ग्रन्थों की तालिका से सहज ही ग्रन्थमाला के कार्यों का अनुमान लगाया जा सकता है-१. शान्तिपथ प्रदर्शन के तीन संस्करण; २. अध्यात्म लेखमाला के दो संस्करण; ३. कर्म सिद्धान्त के दो संस्करण; ४. कर्म रहस्य; ५. पदार्थ विज्ञान, ६. प्रभु वाणी; ७. सत्यदर्शन; ८. वर्णी दर्शन; ९. कुन्द-कुन्द दर्शन; १०. जैन दर्शन में कर्म सिद्धान्त-एक तुलनात्मक अध्ययन। समस्त प्रकाशन कार्यों में उनके परम शिष्य ब. अरिहन्त कुमार जैन का पूर्ण सहयोग रहता है। ब्र० कुमारी मनोरमा जैन रोहतक, ब्र० कुमारी निर्मला जैन वाराणसी एवं श्री सूरजमल जैन गाजियाबाद वालों का भी ग्रन्थमाला के कार्यों में तन-मन और धन से सहयोग मिलता रहता है। जिनवाणी की यह नि:स्वार्थ सेवा उनके साधना पथ को प्रशस्त करेगी, ऐसी हमें पूर्ण आशा है। श्री जिनेद्र वर्णी ग्रन्थमाला पानीपत
SR No.009554
Book TitleKarma Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year2001
Total Pages96
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size5 MB
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