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पंञ्चम अधिकार। न्द्रिय तथा नारकी ये सब नपुंन्सक हो होते हैं। एकेन्द्रिय आदिके अनेक संस्थान होते हैं, पर नारकीयोंका हुंडके संस्थान ही होता है। देव और भोगभूमियों को समचतुरस्र संस्थान होता है, पर मनुष्य और तिर्यंचोंके छहों संस्थान होते हैं । देव और नारकियोंकी उत्कृष्ट स्थिति ( सबसे अधिक आयु ) तीस सागरकी होती है, व्यतर ज्योतिषियोंकी एक पल्य तथा भवनवासियोंकी एक सोगर की। वनस्पतियोंकी स्थिति दश हजार वर्ष और सूक्ष्म वनस्पतियोंकी अन्तर्मुहुर्त है। पृथ्वीकादिक जीवोंकी बाइस हजार वर्ष, जलकादिक जीवोंकी सात हजार वर्ष और अग्निकादिक जीवोंकी तीन दिनकी उत्कृष्ट स्थिति है। जिनागममें द्विन्द्रिय जीवोंकी उत्कृष्ट स्थिति बारह वर्ष और तेइन्द्रियकी उन्वास दिनकी 'बताई गयी है । चतुरेन्द्रियकी छः मासकी और पंचेन्द्रिय जीवों
की स्थिति तीन पल्यकी है एवं इन्हींकी जघन्य स्थिति अन्तर मुहूर्तको होती है । जिनागममें धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गलं,
जीव और काल ये छः द्रव्य बतलाये गये हैं। इनमेंसे धर्म 'अधर्म आकाश और पुद्गल द्रव्य अजीव भी है और कार्य भी हैं। पुद्गल द्रव्य रूपी है और बाकी सबके सब अरूपी हैं और द्रव्य नित्य हैं। जीव और पुद्गल क्रियाशील हैं और चारद्रव्य किया रहित हैं। धर्म अधर्म और एक जीव असंख्यात प्रदेश हैं। पुद्गलोंमें संख्यात, असंख्यात और अनन्त तीनों प्रकारके प्रदेश हैं । आकाशके 'अनन्त प्रदेश है.. और कालका एक-एक प्रदेश है। दीपकके प्रकाशकी भांति जीव