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________________ गौतम चरित्र । हितकरनेवाला उत्तम दान देनेवाली थी । वह शील और व्रतों को धारण करनेवाली थी। उसका हृदय सम्यग्दर्शनसे विभूषित था । वह सदा जिनधर्मके पालनमें तत्पर रहा करती थी। अनेक देशोंके अधिपति, विभिन्न प्रकारकी सेनाओंसे सुशोभित अत्यंत समृद्धिशाली महाराज श्रेणिक, अपनी पत्नी चेलनाके साथ भिन्न भिन्न प्रकारके सुखोंका उपभोग करते हुए जीवन यापन कर रहे थे। श्रेणिक के प्रश्न का वर्णन . एक वार अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी समवशरणके साथ अनेक देशोंमें बिहार करते हुए विपुलाचलके मस्तकपर आकर विराजमान हुए । भगवान तीन छत्रोंसे सुशोभित थे । वे अपने उपदेशामृतसे भव्यजीवोंके ताप हर लेते थे। उनके साथ गौतम गणधर आदि अनेक मुनियोंका विस्तृत समुदाय था। साथही सुरेन्द्र नागेन्द्र खगेन्द्र आदि उनकी पाद. वन्दना कर रहे थे। भगवानके पुण्यके माहात्म्यसे हिंसक जीव भी अपना अपना वैर भाव छोड़कर परस्पर प्रेम करने लग गये थे। भगवानके आगमनसे पर्वतकी छटा निराली होगयी । वृक्ष फल फूलोंसे सुशोभित होगये । उन वृक्षोंसे एक प्रकारकी मीठी सुगन्धि फैलने लगी। वे सब कल्पवृक्ष जैसे सुन्दर दीखने लगे। भगवान महावीर स्वामीको देखकर माली चकित होगया ।
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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