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________________ (७३२) चरकसंहिता-मा० टी०। इसप्रकार कहतेहुये भगवान् आत्रेयजीसे अग्निवेश वोले कि हे भगवन् ! इतनेहीं -कथनसे आपके वाक्यके अर्थको नहीं जानसकरे । इसलिये आप कृपाकरके इस विषयकी विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिये हमको इसके सुननेकी इच्छा है ॥ २ ॥ और जगत् तथा पुरुषकी तुल्यता। इति तमुवाचभगवानात्रेयः । अपरिसंख्येयालोकाश्यवाविशेपाःपुरुषावयवाविशेषाअप्यपरिसंख्येयाायथायथाप्रधानञ्चतेपायथास्थूलंभावान्सामान्यमाभिप्रेत्योदाहरिष्यामःतालेकमनानिबोधसम्यगुपवर्ण्यमानाननिवेश ! पत्रातबालमुदिता लोकइतिशब्दलभन्ते । तद्यथा-पृथिव्यापस्तेजोवायुराकाशं ब्रह्मचाव्यक्तमित्येतएवचषड्धातवःसमुदिता पुरुषइतिशब्दं लभन्ते । तस्यपुरुषस्यपृथिवीमूर्तिरापःक्लदस्तेजोऽसिलन्ता- .. पोवायुःप्रागोवियच्छिद्राणिब्रह्मान्तरात्मा ॥३॥ यह सुनकर भगवान् आत्रेयजी बोले कि जगत्के अवयवविशेष और पुरुषके अवयव विशेष अपरिसंख्येय हैं अर्थात् गणनामें नहीं सकताउनमें जो र जैसे २ प्रधान और स्थूल भाव हैं उनको सामान्यतासे उदाहरणके लिये वर्णन करतेहैं । हेअग्निवेश ! उन भलेप्रकार वर्णन कियेहुए भावोंको एकाग्रचित्त होकर श्रवण करो। छ: धातुओंसे मिलाहुआ जगत् है ऐसा सुनने आता है वह छ' धातुएँ इसप्रकार हैं। जैसे-पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश और अव्यक्तब्रह्म इनसे सम्मिलित मूर्तिमान जगत है इसीप्रकार पुरुष भी यही छः धातुओंसे सम्मिलित है । जैसेपृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश तथा आत्मा यह दोनों धारा बराबर देखनमें आती हैं । जैसे मूत्तिमान् जगत्में यह मूर्तिमान पृथ्वी देखने में आतीहै उसीप्रकार दूसरीओर पुरुषका शरीर पृथ्वी है । जैसे एकओर जगत्में जलका प्रवाह है वैसेही पुरुषके शरीरमें क्लेदरूप जल है । जैसे जगत्में एकओर अग्नि है उसीप्रकार दूसरीऔर पुरुषमें जठरामि है जैसे जगतमें एकओर पूर्वपश्चिमकी वायुका गमन है वैसही दूसरी ओर पुरुषके शरीरमें प्राण और अपानवायुला गमन होताहै। जैसे . भर्चिमान् जगत्में एकओर आकाश है ऐसे ही दूसरीओर शरीरमें छिद्रसमूहरूपी आकाश है । जैसे मूर्तिमान जगत्में एकओर जगत्का प्रकाशक ब्रह्म है उसीप्रकार दूसरीओर शरीररूपी जगत्को प्रकाश करनेवाला आला है। इसमकार दोनोंओर दोनों धारा देखने में बरावर आती हैं ॥३॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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