SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 777
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शारीरस्थान- अ० ४. (७१९) अगट करतीहै।इसलिये बुद्धिमान गर्भकी इच्छाका व्याघात कभी नहीं करते अर्थात् गर्भवती जिस पदार्थको चाहतीहै उसको वही देतेहैं । दौहिदके समय माताके इच्छित पदार्थ न मिलनचे गर्भमें विकार उत्पन्न होताहै।अथवा गर्भनाश होजाताहै ॥१७॥ समानयोगक्षेमाहिलातातदागसेंणकेचिदई तस्माप्रियहितास्यांगर्भिणीविशेषेणोएचरान्तकुशलाः॥१८॥ माता और गर्भ यह दोनों समान योगक्षेम हैं अर्थात् माताका हित होनेसे गर्भका भी हित होता है और माताका अहित होनेसे गर्भ में भी विकार उत्पन्न होजा. ताहै । इसलिये बुद्धिमान मनुष्य गर्भवती स्त्रीके प्रियकर्ता पदार्थोसे और हित उप. पारसे इच्छा पूर्ण करते रहते हैं ॥ १८ ॥ दौदलक्षण । तस्याहृदय्यस्यचविज्ञानालिङ्गानिसमासलउपदेक्ष्यामः १९॥ उस स्त्रीके दौहृद जानने के लिये लक्षण और उसकी रक्षाके लिये हितउपा--- योंका संक्षेपसे वर्णन करतहैं ॥ १९ ॥ उपचारसंवोधनंह्यस्याज्ञानेदोषज्ञालश्चलिङ्गतस्तस्मादिष्टोलि. झोपदेशस्तद्यथाआवादर्शनमास्यसंलवणमनन्नामिलापश्छ- . दिररोचकोऽम्लकामताचविशेषेण । श्रद्धाप्रणयनञ्चोच्चावचेषु भावेषुगुरुगावत्वंचक्षुषोग्लोनिःस्तनयोःस्तन्यमोष्ठयोःस्तनसण्डलयोश्चकाष्र्ण्यमत्यर्थश्वयथुः पादयोरीषल्लोमराज्युगमायोत्याश्चाटालत्वमितिगर्भपागतरूपाणिभवांत ॥ २०॥ क्योंकि गर्भवतीके लक्षणोंको न जाननेसे और उपचारको न जाननेसे गर्भ में अनेक प्रकारकी वाधा होसकतीहैं। इसलिये लक्षणोंसे ज्ञानकी उत्पत्ति के लिये उन लक्षणोंका वर्णन करतेहै अर्थात् गर्भवती स्त्रीके यह लक्षण होत । जैसे-मालि. कऋतुका न दीखना, मुखले पानीका गिरना, अन्न अच्छा न लगना, छर्दी होना, अरुचि और खट्टे पदार्थों की इच्छा होना, ऊंच और नीचभावों में श्रद्धा होना और इच्छा होना, शरीरका भारी होना, नेत्रों में ग्लानि होना, स्तनोंमें दूधकी प्रवृत्ति होना, दोनों ओष्ठ और स्तनोंके मुख काले होना, पावोंपर सूजन होना, योनिका बंद होना, किंचित् रोमांच होना यह सब लक्षण पूर्णगर्भवतीक होतेहैं ॥२०॥ गर्भनाशक भाव । सा यद्यदिच्छेत्तत्तदस्यदद्यादन्यत्र गर्भोपघातकर याभाडे- '
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy