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________________ (५४२.) चरकसंहिता-भा०. टी०। ज्यहेतूनांमूलमेवच ॥६९ ॥ प्राग्विकारसमुत्पत्तिरायुषश्चक्षयक्रमः। मरणप्रतिभूतानांकालाकालविनिश्चयः॥७०॥यथा चाकालमरणंयथायुक्तञ्चभेषजमासिद्धियात्यौषधंयेषांनकायेनहेतुना ॥ ७१॥ तदग्निवेशायात्रेयोनिखिलंसर्वमुक्तवान् । देशोद्ध्वंसनिमित्तीयेविमानेमुनिसत्तमः ॥७२॥ इति च० सं० जनपदोध्वंसनीयविमानं समाप्तम् ॥३॥ इस जनपदोद्ध्वंसनीय विमान नामक अध्यायमें जनपद उध्वंसनके पूर्वरूप, सामान्य हेतु, और उन सब भावोंके अलगरलक्षण देशाध्वंसकी चिकित्सा, उसके कारण तथा पूर्वक्रमसे विकारोंकी उत्पत्ति, आयुके क्षय होनेकाक्रम तथा मनुष्योंकी काल और अकाल मृत्युका निश्चय, जैसे अकाल मरण होताहै जैसे उनकी औषधी करना चाहिये, जिनको औषधी फलदायक होतीहै,जिनको जिन हेतुओंसे औषधी लाभदायक नहीं होती यह सव भगवान् पुनर्वसु आत्रेयजीने अग्निवेशके प्रति कथन किया है ॥ ६९ ॥ ७० ॥ ७१ ॥ ७२ ॥ इति श्रीमहर्षिचरक० विमानस्थाने पं० रामप्रसादवैद्य० भाषाटीकायां जनपदोध्वंसनीय विमानं नाम तृतीयाध्यायः ॥ ३ ॥ चतुथाऽध्यायः। अथातस्त्रिविधरोगविशेषविज्ञानीयविमानंव्याख्यास्यामइति हस्माहभगवात्रेयः॥ अब हम त्रिविध रोग विशेष विज्ञानीय विमान नामक अध्यायका कथन करतेहैं इस प्रकार भगवान् आत्रेयजी कथन करने लगे। रोगविशेषज्ञानके भेद । त्रिविधंखलुरोगविशषज्ञानभवति । तद्यथा--आप्तोपदेशः, प्रत्यक्षमनुमानञ्चेति ॥१॥ आप्तोपदेश प्रत्यक्ष अनुमान इन तीन प्रमाणों द्वारा ही सम्पूर्ण रोगोंका विशेष 'ज्ञान होताहै ॥१॥ - आप्तोपदेशका लक्षण । . तत्राप्तोपदेशोनामआप्तवचनम् । आप्ताह्यवितर्कस्मृतिविभा
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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