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सूत्रस्थान-अ० २७. . (३५५)
भैसके दूधके गुण । महिषीणांगुरुतरंगव्याच्छीततरंपयः ।
स्नेहन्यूनमनिद्रायहितमत्यग्नयेचतत् ॥ २१३ ॥ भैसका दूध-गोदूधसे भारी, शीतल, अधिकस्नेहयुक्त; जिनको निद्रा नहींआतीं। और बलवान् अग्निवालोंको परम हितकारक है ॥ २१३॥
. ऊंटनीके दूधका गुण । रूक्षोष्णक्षीरमुट्रीणामीषत्सलवणंलघु ।
शस्तंवातकफानाहकिमिशोफोदरार्शसाम् ॥ २१४॥ : ऊंटनीका दूध-रूक्ष, गर्म,किंचित् नमकीन और हलका होताहै एवम् वात,कफ, अफारा, कृमि, सूजन, उदररोग और बवासीरमें हितकारी होता है ।। २१४॥
घोडीआदिक दूधका गुण । बल्यंस्थैर्यकरसवमुष्णञ्चकशफंपयः ।
साम्लंसलवणंरूक्षशाखावातहरंलघु ॥ २१५ ॥ एक खुरवाले जानवरोंका दूध-जैसे, घोडी, गवा आदिकोंका दूध वलकारक; शरीरको दृढ करनेवाला, उष्ण, किंचित् अम्ल और नमकीन, रूक्ष तथा शाखागत वायु नष्ट करताहै ॥२१५॥
. . बकरीकै दूधका गुण । छागंकषायमधुरशीतग्राहिपयोलघु ।
रक्तपित्तातिसारघ्नंक्षयकासज्वरापहम् ॥ २१६ ॥ . बकरीका दूध-कसैला, मधुर, शीतल, ग्राही और हलका है तथा रक्तपिच और अतिसार, क्षय, कास; ज्वर इनको नष्ट करता है ॥ २१६ ॥
भेड तथा हस्तिनीके दूधका गुण । हिक्काश्वासकरन्तुष्णपित्तश्लेष्मलमाविकम् ।
हस्तिनीनांपयोबल्यंगुरुस्थर्यकरंपरम् ॥ २१७ ।। भेडका दूध-गर्म है तथा पित्तकफकारक, हिचकी तथा श्वासको उत्पन्न करने चाला है । हथिनीका दूध-बलकारक, भारी, शरीरको परमहद्ध करनेवाला होता है ॥ २१७॥
गतीको हट करने बानवरोका पाखावात