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विषय,
पृष्ठांक.
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१५५
विषयानुक्रमणिका।
(१५) विषय.
पृष्ठांक. स्नेहपानके पश्चात् कर्म . '
जेन्ताक स्वेदके लिये भूमिपरीक्षा · १६६ १५२
अश्मधनस्वदका लक्षण
" पातस्नेहव्यक्तिके कर्त्तव्यकर्म अधिकस्नेहपानके दोप
कुटींवेदका वर्णन
भूस्वेदका वर्णन कोष्ठानुसार स्नेहपान विधि . १५३ मृदुकोष्ठ व्यक्तिके विरेचन द्रव्य
कुम्भीस्वेदका वर्णन
पस्वेदका वर्णन . मृदुकोष्ठ के लक्षण
होलाकस्वेदका वर्णन
१७० स्नेहयुक्त अग्निका तीव्रत्व
विना अमिस्वेदन विधान
१५४ अजीर्ण स्नेहपानमें उपाय
अध्यायका संक्षिप्त वर्णन
१७१ स्नेहमके उपद्रव स्नेहपानमें विरेचन विधि
१५, उपकल्पनीय अध्याय । स्नेहमें मिलानेयोग्य यूप और यूपके द्रव्य,
निवासस्थानका वर्णन स्निग्ध करना
१५६
मदनफलकी मात्राका प्रमाण
१५८ अध्यायका संक्षिप्त वर्णन
१७८ वमन होनेपर वैद्यका कर्तव्य
१७९
वमनके योगायोग दि लक्षण १४. स्वेदाध्याय। स्वेदनकर्मका यत्न १५८
१८० रात्रिके भोजनका क्रम विरेचन विधि
१८१ स्वेदनसे रोगशान्तिम दृष्टांत
१८३
अध्यायका संक्षिप्त वर्णन स्वेदनसे कार्यसिद्धि
१५९ स्वेदनके भेद
१६. चिकित्सा प्रभृतीय अध्याय ।
१८३
सदसद्वद्यके कर्मका फल रोगानुसार स्वेदन विधि स्वेदनेक अयोग्य अंग
अच्छे विरेचनके लक्षण नेत्र में स्वेदन विधि
दुष्टविरेचनके लक्षण स्वेदन कर्मके अयोग्य रोगी
अतिविचितके ल. स्वेदनके योग्य रोग
संशोधनयि रोग पिण्डस्वेदका वर्णन १६२ संयोधन का फल
१८६ कफरोगियोंको स्वेदन विधि
संशोधनकी उत्कृष्टता : " स्वेदनका सहज उपाय
औषध क्षीणके लिये पथ्य नाडी स्वेदनकी विधि
वमन विरेचनातियोगमें चिकित्सा १८७ लेपपर पट्टी बांधनेका सामान १६३ अभिवेशका प्रश्न लेपवन्धनका समय
१६४ पुनर्वसुका उत्तर
१.८६ स्वेदके तेरह भेद
१८९
• अध्यायका संक्षिप्त वर्णन शंकरस्वेदका लक्षण
१७.फियंतःशिरसीय अध्याय । प्रस्तरस्वेदका लक्षण . ".
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रोगोंपर अभिवेशका प्रश्न १९० नाडीस्वेदका लक्षण परिषकका ल.
गुरुका उत्तर
शिरोरोगोंके कारण अवगाहका ल.
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