________________
(३४२) चरकसंहिता-भा० टी०।
आँवलेमें लवणरसके विना, मीठा, खट्टा, कडुआ, कसैला,चरपरा ये पांच रस हैं। आँवला- कफके उत्क्लेशको और पित्तविकारोंको नष्ट करताहै। तथा मेदरोग और आधिक पसीना आना इनको भी दूर करताहै ॥ १४१॥
बहेडेके गुण। रूक्षस्वादुकषायाम्लंकफपित्तहरंपरम् ।
रसासृङमांसमेदोजान्दोषान्हन्तिविभीतकम् ॥ १४२ ॥ बहेडा-रूक्ष, स्वादु, कषाय, अम्ल एवम् कफ,पित्तको अत्यन्त नष्ट करनेवाला. तथा रस, रक्त, मांस और मेदके सम्पूर्ण दोषोंको नष्ट करताहै ॥ १४२ ॥ ·
अनारका गुण । अम्लंकषायमधुरंवातघ्नंग्राहिदीपनम् ।
स्निग्धोष्णंदाडिमंहृद्यंकफपित्ताविरोधिच ॥ १४३॥ अनार खट्टा, कषाय, मधुर, वातघ्न, ग्राही, दीपन, स्निग्ध, उष्ण,हृदयको प्रिया तथा कफ और पित्तसे विरोध नहीं करनेवाला होताहै ॥ १४३ ॥
रूक्षाम्लंदाडिमंयत्तुतत्पित्तानिलकोपनम्।
मधुरंपित्तनुत्तेषांतद्धिदाडिममुत्तमम् ॥ १४४ ॥ खट्टा अनार-रूक्ष, पित्तजनक और वातको कुपित करनेवाला होताहै । मठिग अनार-पित्तको नष्ट करताहै । इन दोनों प्रकारके अनारोंमें मीठा अनार उत्तमः होताहै ॥ १४४॥
__ वृक्षाम्लके गुण । • वृक्षाम्लंग्राहिरूक्षोष्णंवातश्लेष्मणिशस्यते ।
अम्लिकायाःफलंशुष्कंतस्मादल्पान्तरंगुणैः ॥ १४५॥ तितिडीक-संग्राही, रूक्ष, गर्म एवम् वात, कफको नाश करनेवाला है । पकाः दुआ इमलीका फल तितिडीकसे किंचित् हीनगुण होताहै ॥ १५ ॥
अमलवेत तथा बिजौरेके गुण । गुणैस्तैरेवसंयुक्तंभेदनन्त्वम्लवेतसम्। शूलेरुचौविबन्धेचमन्देनौमद्यविक्षये ॥ १४६ ॥ हिकाकासेचश्वासेचवम्यांवोंगदेषुच । वातश्लेष्मसमुत्थेषुसवतेषुदिश्यते ॥ १४७ ॥ केशरंमातुलुङ्गस्यलघुशीतमतोऽन्यथा । रोचनोदीपनोहृद्य: