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सूत्रस्थान-अ० २७. 'गङ्गेरी-करील-विम्बी-तोदन-धन्वन । . : . गाङ्गेरुकीकरिश्चाबम्बीतोदनधन्वनम् ।
मधुरंसकषायञ्चशीतपित्तकफापहम्॥ १३६ ॥ . गांगेरुकी (नागबला) का फल और करीरके फल तथा कन्दूरी, तोदन, धन्वन-यह सब फल मधुर किंचित् कषाय, शीतल और पित्तकफको हरनेवाले हैं.॥ १३६ ॥
खिरनी:-पनस केला-चिरौंजी। क्षीरिकंपनसंमोचंराजादनफलानिच।
स्वादनिसकषायाणिस्निग्धशीतगुरूणिच ॥ १३७ ॥ खिरनी, पकाहुआ कटहर, केलेकी फली, चिरौंजी ये सव मीठे,कषाय, स्निग्ध शीतल और भारी होते हैं ॥ १३७ ॥
लवलीके गुण । कषायविषदत्वाचसौगन्ध्याचरुचिप्रदम् ।
अवदंशक्षमरुक्षवातलंलवलीफलम् ॥ १३८॥ लवलीके फल कषाय और विषद होनेसे तथा सुगंधयुक्त होनेसे रुचिकारक होतेहैं तथा चटनी आदिमें मिलाने योग्य, रूक्ष तथा वातकारक होतेहैं ॥ १३८॥
कदम्बादिके गुण । ' नीपंसभार्गकंपीलुतृणशून्यंविककृतम्।
प्राचीनामलकञ्चैवदोषनंगरहारिच ॥ १३९ ॥ कदम्ब, भांर्गीके फल, पीलूफल, केतकीफल, विकंकतके फल, प्राचीनाम्लके फल यह सब दोषनाशक तथा गरनाशक होतेहैं ॥१३१ ॥
गोंदीफलआदिका गुण । इंगुदंतिक्तमधुरंस्निग्धोष्णंकफवातजित् ।
तिन्दुककफपित्तनंकषायमधुरंलघु ॥१४० ॥ गोंदनीके फल कड्डए, मधुर, चिकने, गर्म एवम् कफ और वातको जीतनेवाले होतेहैं । तिंदुकफल ( तेंदु )कफपित्तनाशक,कषाय,मधुर और हलके होतेहैं।१४०॥
आंवलेका गुण । .. विद्यादामलकेसर्वानसान्लवणवर्जितान् ।
स्वेदमेदाकफोल्लेदपित्तरोगविनाशनम् ॥ ॥ १४१ ॥