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________________ (३३८). चरकसंहिता-मा० टी०। अथफलवर्गः। दाखके गुण । . . . तृष्णादाहज्वरश्वासरक्तपित्तक्षतक्षयान् । वातपित्तमुदावर्त स्वरभेदमदात्ययम् ॥११९॥ तिक्तास्यतामास्यशोषकाशञ्चाशव्यपोहति । मृद्वीकाव्हणीवृष्यामधुरस्निग्धशीतला ॥१२०॥ मुनक्का--तृषा, दाह,ज्वर, श्वास, रक्तपित्त, क्षत, क्षय, वातपित्त, उदावर्त, स्वरभेद, मदात्यय, सुखकी कडुआहट,शोष,खांसी इन सवको नष्ट करताहै तथा पुष्टिकारक, वीर्यवर्द्धक, मधुर, स्निग्ध और शीतल है॥ ११९ ॥ १२० ।। खजूरके गुण। मधुरबृंहणंवृष्यंखर्जूरंगुरुशीतलम् । क्षयेऽभिघातेदाहेचवातपित्तेचतद्धितम् १२१ ॥ खजूरका फल--मधुर, पुष्टिकारक, वीर्यवर्द्धक, भारी, शीतल होताहै तथा क्षय, अभिघात, दाह और वातपित्तमें हितकारक होताहै ॥ १२१ ॥ _ फल्गु-फाल मा-महुआ। तर्पणबृहणफल्गुगुरुविष्टम्भिशतिलम् । परूषकमधूकञ्चवातपित्तेचशस्यते ॥ १२२॥ कठूमरका फल-तृप्तिकारक, बृहण, भारी,विष्टम्भी और शीतल होताहै।फालसा और महुआ वातपित्तमें हितकारी होते हैं ॥ १२२ ॥ . आंवडेके गुण । मधुरंबृहणंबल्यमाम्रातंतर्पणंगुरु।। सस्नेहंश्लेष्मलंशीतंवृष्यंविष्टभ्यजीति ॥ १२३ ॥ पका हुआ आमडाका फल पुष्टिकारक, बलवर्द्धक, तर्पण, मीठा, कफकारक, शीतल, वृष्य और विष्टम्भ होकर पाचन होनेवाला है ॥ १२३ ॥ ताल-नारियल । तालशस्यानिसिद्धानिनारिकेलफलानिच । बृहणस्निग्धशीतानिबल्यानमधुराणिच ॥ १२४ ॥ सिद्ध किया ताडका फल.और नारियलका फल-पुष्टिकर्ता,चिकना,शीतल,बलकारक और मधुर होताहै ॥ १२४ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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