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________________ (८) भूमिका । एक दो टीकाएं हिन्दी भाषामें पहिले भी छप चुकी हैं परन्तु " ज नर्मको अच्छी तरह न समझानेके कारण आयुर्वेद रसिकोको पादरणीय इसलिये यह पुस्तक "श्रीवेंकटेश्वर" स्टीम प्रेसके स्वत्वाधिकारी श्रीमान् सेठ खेमराज श्रीकृष्णदासजीने संवत् १९६६ में हिन्दीभाषा में मूलानुसार सरल उत्तम टीका बनाने के लिये मुझे दिया। इस डेढसाल के वीचमें यद्यपि अनेक प्रकार आध्या त्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक आपत्तियोंके असामयिक आक्रमणोंसे अभिभूत होने के कारण इस ग्रंथ की टीका बनाने के लिये मुझे यथेष्ट अवकाश न मिलराखा, तथापि इस टीकामें अपनी मति गतिके अनुसार निरालस होके कठिन से कठिन भावांको सर्वसाधारण के समझने योग्य करने में त्रुटि नहीं की है, और ययास्थल औषधनिर्माणक्रियायें इस तौर लिखी गई हैं कि फिर किसीसे कुछ पूछने की आवश्यकता नहीं | शीघ्रतावश यदि कहीं कुछ त्रुटि रहगई हो तो बुध जन क्षमाकर मुझे सूचित करेंगे जिससे दूसरी बार छपनेमें वह ठीक होजावें । इस प्रसादनीनामक भापाटीका सहित चरकसंहिताको 'त्वदीयं वस्तु गोबिन्द तुभ्यमेव समर्पितम्' के तौर श्रीमान् सेठ खेमराज श्रीकृष्णदास अध्यक्ष श्रीवेङ्कटेश्वर" स्टीम् प्रेस बम्बई को सर्वाधिकार सहित सादर अर्पण करता हूं और कोई महाशय इसके छापने आदिका साहस न करें, नहीं तो लाभके बदले हानि उठानी पडेगी. और पं० हरि शर्मा शास्त्रीजीने इसका शोधन करते समय, शीघ्रता के कारण पुनरुक्ति, वाक्योंमें कर्मणि कर्त्तरी प्रयोगभेद आदिको दुरुस्त कर हमारी बडी भारी सहायता की है इस लिये उन्हें अनेकशः धन्यवाद हैं । ! गारक लेन 1. टेप व अश्विन शुद्ध १० सोमवारं. मुँपए १९६८ ३४. :: " 1 विनीत रामप्रसाद वैद्योपाध्याय, राजवैद्य रियासत पटियाला. ।
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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