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सूत्रस्थान-अ०:१७. - ....... पिचज शिरोरोगोंके कारण । . . .. . 'कटुम्ललवणक्षारमद्यक्रोधातपानलैः । पितशिरसिसन्दुष्टं शिरोरोगायकल्पते ॥२०॥ दह्यतेरुज्यतेतेनशिरःशीतेनशूयते। दह्यतेचक्षुषीतृष्णाभ्रमःस्वेदश्चजायते ॥ २१॥ चपरे, खट्टे, नमकीन और खारे पदार्थोंके सेवनस, मद्य पीनेसे, क्रोधसे, धूप और अग्निके परितापसे, मस्तकका पित्त कुपित होकर मस्तकमें पित्तकी पीडा करताहै । तब मस्तकमें दाहयुक्त तोद (पीडा) होताहै वह तोद शीतल पदार्थोंके सेवनसे शान्त होताहै । जब पित्तजन्य मस्तकपीडा होतीहै तो नेत्रोंमें दाह प्यास भ्रम, पसीना आना, यह उपद्रव होतेहैं ॥ २०॥ २१ ॥
____कफज शिरोरोगके लक्षण । आस्यासुखैःस्वप्नसुखैर्गुरुलिग्धातिभोजनः । श्लेष्माशिरसि सन्दुष्टःशिरोरोगायकल्पते ॥ २२ ॥ शिरोमन्दरुजतेन सुप्तिस्तिमितभारिकम् । भवत्युत्पद्यतेतन्द्रातथालस्यमरोंचकः ॥ २३॥ . बहुत बैठारहनसे, बहुत सोनेसे, भारी और चिकने पदार्थों के अधिक सेवनसे, शिरमें रहनेवाला कफ दूषित होकर कफजन्य मस्तक पीडा करताहै | उससे शिरमें मंद २ पीडा होना, निद्रा आईहुईसी रहना, मस्तक गीलासा प्रतीत होना और बोझल होना, तंद्रा, आलस्य, और अरुचिका होना यह लक्षण कफजन्य मस्तक. पीडाके होतेहैं ॥ २२॥ २३॥
. .त्रिदोषज शिरोरोगके लक्षण । - वाताच्छूलंभ्रमःकम्पापित्तादाहोमदस्तृषा।
... कफादरुत्वंतन्द्राचशिरोरोगेत्रिदोषजे ॥ २४ ॥ .. त्रिदोषसे उत्पन्नहुए शिरोरोगमें वायुसे शूल और भ्रम, पित्तसे दाह, मद,तृषा कफसे भारीपन और तंद्रा, यह लक्षण होतेहै ॥ २४ ॥ . . . . . . .
कृमिज शिरोरोगका लक्षण। तिलक्षीरगुडाजीर्णपूतिसंकीर्णभोजनात् । क्लेदोऽसृक्कफमांसानांदोषश्चास्योपजायते ॥ २५ ॥ ततःशिरसिसंक्लेदाक्तिमयः पापकर्मणः । जनयन्तिशिरारोगंजातबीभत्सलक्षणम् ॥१६॥