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मूत्रस्थान-अ० ४.
दुग्धशोधक १० द्रव्य । पाठामहौषधसुरदारुमुस्तमूर्वागुडूचीवत्सकफलकिराततिक्तकटुरोहिणीशारिवाइतिदशेमानिस्तन्यशोधनानिभवन्ति ॥ ४२॥ पाठा, सोंठ, देवदारु, मोथा, मूर्वा, गिलोय. इंद्रजों, चिरायता, कुटकी,सारिवा, यह दशक स्तनोंके दूधको शुद्ध करताहै ॥ ४२ ॥
.. वीर्यउत्पन्नकरनेवाल १० द्रव्य । जीवकर्षभककाकोलक्षिारकाकोलामुद्दपीमाषपर्णीमेदावृक्षरुहाजटिलाकलिङ्गाइतिदशेमानिशुक्रजननानिभवन्ति ॥४३॥ जीवक, ऋषभक, काकोली, क्षीरकाकोली. मुद्गपर्णी, माषपर्णी, मेदा, वंदा, जटामांसी, कुर्लिंग (काकडासँगी) यह दशक शुक्रको पैदाकरताहै ॥ ४३७
वीर्यशोधक १० द्रव्य ।। कुष्ठैलवालुककट्फलसमुद्रफेणकदम्बनिर्यासेक्षुकाण्डेविक्षरकवसुकोशीराणीतिदशेमानिशक्रशोधनानिभवन्ति ॥ ४४ ॥
इतिचतुष्कः कषायवर्गः । कूठ, एलवालुक, कायफल, समुद्रफेन, कदवका गोंद, ईख, कांस, तालमखाने, अगस्तियाके फूल, खस, यह दशक शुक्रको शुद्ध करताहें । यह चार कषायोंका वर्ग है ॥ ४४ ॥
स्नेहके उपयोगी १० व्य। मृद्दीकामधुकमधुपर्णीमेदाविदारीकाकोलीक्षीरकाकोलीजीवकजीवन्तीशालपर्ण्यइतिदशेमानिनेहोपगानिभवन्ति ॥४५॥ मुनक्का, मुलैठी, गिलोय, मेदा, विदारीकंद, काकोली, क्षीरकाकोली, जीवक, जोवती, शालपर्णी, यह दशक स्नेहकर्ममें उपयोगी है ॥ ४५ ॥
. .. , पसीना उत्पन्न करनेवाले १० द्रव्य । शोभाञ्जनकरण्डार्कवृश्चीरपुनर्नवायवतिलकुलत्थमाषबदराणीतिदशेमानिस्वेदोपगानिभवन्ति ॥ ४६ ॥ सुहांजना, आक, एरंड, सफेद पुनर्नवा, लाल पुनर्नवा, जा. तिल, कुलथी, उडद, वेर, यह दशक पसीना देनेमें उपयोगी है ॥.४६ ।।