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समूलभारानुवाद किनारोमें रहते हैं, वर्षाकालमें मार्गको जीवोंसे पूर्ण हो जाने पर छह मास पर्यन्त आहार रहित होकर कायोत्सर्ग धारण करते हैं, परिग्रह रहित होते हैं, रनअयसे विभूषित होते हैं, मोक्षके साधनमें जिनकी निष्ठा होती है, धर्म ध्यान तथा शुक्ल ध्यान हीमें निरत रहते हैं, जिनके स्थानका कोई निश्चय नहीं होता तथा जो जिन भगवानके समान विहार करने वाले होते हैं ऐसे साधुमोंको जिन भगवानने जिन कल्पी साधु कहा है।।२-१०॥ ___ और जो जिनलिङ्गके धारक होतेहैं, निर्मल सम्यक्ल रूप अमृतसे जिनका हृदय क्षालित होता है, अठाईत मूलगुणोंके धारण करने वाले होते हैं, ध्यान तथा अध्ययनमें ही निरत रहते हैं, पञ्च महाव्रतके धारक होते हैं, दर्शनाचार ज्ञानाचार प्रभृति पश्चाचारके पालन करने वाले होते हैं, उत्तम क्षमादि दश धर्मसे विभू. पित रहते है, जिनकी ब्रह्मचर्य व्रतमें निष्टा (श्रद्धा)
सरकुले । सात मागे निसहाराः कापासी समातिमा Heakire. मापमा मतियमाता निर्माणसापने नि या पतपोषितावासा दिनानिमित है। मामात भिनMera
11. अब स्पायरकन्या निमियागः मुनकमा मन्धीतपेतमMAHA का रविणाम पर पंचना तपम महा
नागिन मतदु मतिर मागानन्याय ॥