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________________ (56) 8 आ प्रमाणे दंड धन रेखाने कातर कहे छे. तेथी पिताना धननै के जुना धनने पण खोई बेसे छे. 9 जेना पगमां चक्ररेखा होय ते शत्र संहार करनारी छै अने ते गुस्तावाळो पण बुद्धिशाळी बनाये छे. 10 जेना पगमा छत्ररेखा होय ते वैभव आपनारी सुखनी रेखा रेखा छे. 11 मा बन्ने रेखाओ चार कर्मनी, हीन काम करावनारी छ. 12 जेना पगमां अर्ध वर्तुलो होय ते दंडाकृतिना असत्य बोलावनार, अने अधर्म प्रवृत्ति करावनारा छे ते माणस मा बापने पण ठगी शके छे. वर्ष शुभाशुभ जाणवा माटे श्री गौतमीय महाविद्या. ॐ नमो भगवओ गोयमसामिस्स सिद्धस्सबुद्धस्स अक्षिणमहाणस्स भगवन् भास्करीयं श्रियं आनय 2 पुरय 2 स्वाहा आ मन्त्रनो आसो शुदी 14 ना दीबसे उपवास करीने धूपदीप करीने एक हजार वार जाप करवो, तथा बोजा दीवसे पुनमना सवारना एक पात्रमा गौतम स्वामीना पादुका केशरचंदनथी लखवा, पछी तेनी भक्तिपूर्वक सुगन्धि द्रव्यथी पूजा करवी, तथा ते पात्राने कपडाथी ढांकी देवू. ज्यां सुधी विधि करे त्यां सुधी बीलाडीने न जोवे. पछे भिक्षानी वस्वते ते पात्र लइने भिक्षा लेवा दातार श्रावकने घरे जाय त्यां जे भिक्षा मले तेनो विचार करे, भिक्षा देनारी श्राविका सौभाग्यवती पुत्रवती होय. तो आगलु वर्ष सारु थाय, तथा धनधान्यथी पूर्ण थाय तथा भिक्षा न मले तो आखु वर्ष दुर्भिक्षावालु थाय. दान आपवामां वार लागे तो विलंबथी वर्षाद थाय, तथा क्लेश थतो होय राजाओमां विग्रह थाय, पात्र मांगी पडे तो छत्रनो भंग थाय, अंगहीन तथा रडता दान आये तो रोग उपद्रव थाय, आ प्रमाणे गौतमीय महा विद्यार्नु ज्यां त्यां उच्चारण न करवू / आ प्रमाणे श्रावकोए पण पोताना माटे जाणवु.. "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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