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जेना हाथमां स्त्रीरेखा मोटी होय तो तेनो विवाह अविवाहितनी साधे विवाह थाय, अने या रेखा तुटेली होय तो फरीने लग्न करवु पडे. अथवा तो कोइ अन्य स्त्रीने प्रेमपात्र समजीने पोताना घरमा राखे.
आ रेखा जेना हाथमां चिकणी होय तो तेने सौभाग्यवाली स्त्री मले, अने तुटेली होयतो दुर्भाग्य स्त्री मले. जे पुरुषना हाथमां दीक्षा रेखा बलवान्, सूक्ष्म, स्निग्ध, गंभीर, लांबी, पीली, गोलाकार, छेदायेल, भेदायेल न होय, सम होय, स्थाननी भ्रष्ट थयेल न होय, तेवी पूर्ण रेखा दीक्षा रेखा होय ते दीक्षा ले तेम समजवुं तथा दीक्षा लेनारना हाथमां स्त्रीरेखा होय तो तेनु फल एकज कहे छे के तेने प्रियमित्र अथवा परमभक्त श्रावक श्राविकाओ आदरपूर्वक सेवा भक्ति करे.
जे पुरुषना हाथमां सिंहासन राज्य आदिना चिन्हो होय तो कनिष्ठा तथा मणिबन्ध पर्य्यन्त जेटली रेखाओ होय तेटली स्त्रीओ समजवी, अने साधारण मनुष्यना माटे समजवी.
तथा जे पुरुषना डाबा हाथमां स्त्रीरेखा, तथा स्त्रीना जमणा हाथमां पुरुष रेखा समजवी, तथा स्त्रीना जमणा हाथमां आयुरेखा तुटेली होय तो ते स्त्री विधवा थाय.
जे स्त्रीनी जमणा हाथनी कनिष्ठा आंगलि तथा मणिबन्धना मध्यमां जेटली रेखा ओ होय, ते स्त्रीने तेटला पति समजवा, स्त्रीरहित साधुपुरुषने जो स्त्रीरखा होय तो तेनु फल भक्ति समजवी, तथा हाथमां जेटली रेखा पडेली होय तेटला भक्ति करनारा शिष्यो- श्रावको समजवा.
साधुना डावा हाथमां रहेली धनरेखाथी लक्ष्मी, ऊर्ध्व रेखाथी राज्य, वाहन रेखाथी लाभ, तथा जमणा हाथनी घनरेखाथी शुद्ध ज्ञान, ऊर्ध्व रेखाथी ऐश्वर्य, तथा गोत्रथी वंश समजवो.
साध्वीना जमणा हाथमां पतिरेखाथी ज्ञान, यात्रा, तीर्थ, वन्दना तपस्या, इन्द्रियनिग्रह, पवित्रता, विगेरे समजवु अने पिता रेखाथी गुरुणीनु सुख समजवु.
"Aho Shrutgyanam"