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(२०) सियाल तथा कुतराथी डर्याकरे, अने सिंगडानो आकार होय तो सिंगडावाला पशूनो डर रहे.
जैना हाथमां आयु रेखानु मूल तथा पितृरेखानु मूल मलेल होय तो मित्रनी पिडा थया करे,--कालजी रह्या करे तथा आंगूठामां यव होय तो युवावस्थामां सुख रहे.
जेना हाथमां कनिष्ठा आंगलिथी तर्जनी आंगलि सुधि रेखाओ गइ होय तो ते सोवर्ष जीवे. मध्यमा सुधी गइ होय तो हेंसीवर्ष जीवे. अनामिका सुधी गइ होय तो साठवर्ष जीवे, अने कनिष्ठा आंगलिथी नीचे होय तो अनुक्रमे वीस तीश वर्ष जीवे समजवु.
जेना जमणा हाथना करभ ( कनिष्ठा आंगलिनीपासेनो भाग ) थी. शरूथयेल द्रव्य रेखानो लाल वर्ण होय अखण्ड होय ते धनने आपवावाली थाय, अने जो तेना फांटाओ आयुरेखानीपासे गयेला होय तो ते पत्रने आपवावाली रेखाओ समजवी.
अंगूठाना पासेथी नीकलेली जेटली रेखाओ होय तेटलो बखत धन मले, तथा ते रेखामां छेदन भेदन होय तो राजदण्ड भोगवे, तथा तुटेली होय तो चोरथी हानी थाय.
जेना हाथमां मणिबन्धथी मध्यमांगुलि सुधी रेखाओ गइ होय तो धनसमृद्धिने प्राप्त करावे.
जेना हाथमां गोत्र रेखा अखण्ड होय तथा छेदायेल भेदायेल न होय ते माणास पोताना गोत्रमा श्रेष्ठ कहे वाय छे. अने बधाने आश्रय आपनारी थाय छे.
तथा गोत्र रेखामांथी जेटला फांटा ओ नीकलेला होय अने ते आंगलिनी पासे गयेला होय तो पाताना पिताना द्रव्यनो भागी थाय, तथा जेटला ते माथी फांटा निकलेला होय तेटला तेना मित्रो समजवा, अने ते मित्रो तेना काममां सहायता करवावाला थाय.
"Aho Shrutgyanam"