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नथतो होय हाथ कोमल, मांसथी पुष्ट भरेलो, तथा हाथनी चामडी शोभाय मान होय तथा नखनो रंग लाल तांबाना जेवो होय. हाथनी आंगलियो लांवी, तथा हाथर्नु तलियु मोटु होय, आवा लक्षणो बालो हाथ उत्तम समजवो.
. हाथना मूल भागना लक्षणो. हाथ नु मणिबन्ध दृढ मजबुत होय, के जेने नमावी न शके तथा गुढ होय, हाडकाविगेरे न देखाता होय, तेनो बांधो शोभायमान होय, तथा शीथील शङ्कवालो होय, तथा हाथ नानो होय तो निर्धनपणाने प्राप्त करावे.
हाथना तलियान स्वरूप. हाथर्नु तलियुं लाल होयतो धनप्राप्ती थाय, तथा तथा लीला रंगनु होयतो ते दारुडीयो थाय, पीला रंगनु होयतो राजस्त्री, कुमारीकन्या, चंडाल विगेरे अशुभकर्म करवाचालो थाय. तथा जेनुतलिय रंगबेरंगी होय ते धनथी रहित होय, तथा जेनु तलिथु उंचु होय ते दातार होय, तथा छिद्रु होयतो पितानुं धन तेना भाग्यमा न रहे, तथा गोलाकार तथा छिद्रु तलियुं होय तो धनवान होय पण साथे साथे कृपण होय समजवु.
जेनी आंगलिना मूलमां जो नीचो भाग होय तथा मध्यमामां उंचो होयतो धन वगरनो समजवो.
जेनो हाथ, फाड पडेलो होय, तथा हाथना हाडका देखाता होय तथा आंगलियोमा विशेष अन्तर होय, तथा आंगलियोनुं ओछुवधारे प्रमाण होय, तथा, हाथनु तलियु मांसथी रहित होय, तथा चामडी कठीण होय, आवा लक्षणवालो दासवृत्ति-नोकरी करीने पोतानु आयुः वातावे.
__ हाथना पाछला भागनुं स्वरूप. __ हाथनो पाछलो भाग विस्तारवालो होय, चिकणो होय, पीलो होय,. उंचो. होय, तेनी नसो देखाती न होय तो उत्तम समजबो.
"Aho Shrutgyanam"