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________________ (१०) हाथ जोवानी पहेला, "ॐ शुक्रपाणिदिने स्वाहा" आ मन्त्रनो उच्चार करीने पछे गुरू हाथ जोवे. आप्रमाणे स्पर्शनाधिकारमाथी जाणवा योग्यनु अत्रे अनुवाद करेल छे-आ अन्थनो मुख्य विषय हस्त ज्ञान छे–माटे तीजा चोथा प्रकरणमा थी हाथ संबधीनो भूत भविष्य वृतान्त समजवो. इति स्पर्शनाधिकार. संक्षिप्त अनुवाद समाप्तः रेखाविमर्शन. श्री ऋषभदेव भगवानने नमस्कारकरीने पूर्वोक्त कहेल विधिप्रमाणे, हाथ जोवडावनार हाथ जोनार गुरूपासे जाय, तेमां हस्तनक्षत्र उत्तम नक्षत्र जोइने हाथ देखाडे । तेमा हाथ जोवडावनार हाथ जोनारनीपासे उत्तम ग्रहनक्षत्र वार तीथि --चन्द्रना योगमां सवारना वखते उत्तम वस्तुओंनी सामग्री लइने अर्थात् हाथ जो ता गुरूने भेट मुके पछे विद्वानू गुरूपासे हाथ जोवडावे । .. हाथ जोनारे हाथ केवी रीते जोवो प्रथम आयुष्य विचार, पछे उत्तम सारा धनविगेरेना लक्षणो, तेमा अल्फ आयुष्यवालाने यदि उत्तम लक्षणो होय तो प्रयोजनज शु. मणिबन्धथी-काण्डाना उपरनो विना परिश्रमकरे हाथ कठीण होयतो-धन प्रप्तिमा उत्तम छे, अने डाबो हाथ कोमल होयतो उत्तम छे. __ प्रथम पुरुषनो जमणो तथा स्त्रीनो डाबा हाथ जोहने तेनो शुभाशुभ, निर्णय कहेवो । स्त्रीनो तथा स्त्रीना स्वभाववाला माणसनो हाथ डाबो जोवो–तथा वालकोनो हाथ तेनी पंदर वर्षेनी. उमर सुधी डाबो हाथ जोवो. हाथना शुभलक्षणो. - जेना हाथने स्पर्शकरवामी उनो लागे, तथा स्वाभाविक लाल रंगवालो होय तथा आंगलिओंना मध्यभागमा छिद्र न होय, तथा हाथमा पसिनो "Aho Shrutgyanam"
SR No.009535
Book TitleHasta Sajjivanama
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay
PublisherMohanlalji Jain Granthamala Indore
Publication Year
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size7 MB
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