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श्रीमहामहोपाध्याय श्रीमेघविजयजीकृत
हस्तसंजीवन
[ संक्षिप्त गुजराती मां अनुवाद ].
आ ग्रन्थमा प्रथम शुभाशुभ जाणवा माटे अङ्गविद्या बधा निमितोमां मुख्य बनावेल छे एम ग्रन्थकारनु कथन छे.
आमां निमित्त ज्ञान आठ प्रकारनां कहेल छे.
अंग, स्वम, स्वर, भौम (पृथ्वीसंबन्धी) व्यंजन, लक्षण, उत्पात, अन्तरिक्ष (आकाश) निमित. आ आठ प्रकारना निमित छे.
अंगमां मस्तकनी अपेक्षाए हाथश्रेष्ट गणवामां आवेलछे कारणके धार्मिक पवित्र क्रियाओ हाथथी थाय छे माटे हाथ श्रेष्ट कहेल छे. __ पहेलाना आचार्यो? हस्तसंबधी ज्ञान त्रण प्रकारे कहेल छे. प्रथम हाथ जोवाथी स्पर्श करकरवाथी तथा हाथमा रहेली रेखाओ जोवाथी शुभाशुभ ज्ञान जाणी शकाय छे. . सवारना पेला उठताज पुरुष पोते जमणो हाथ, तथा डाबो हाथ जोवे अने आमकरवाथी पुन्यनो मार्ग मली शके छे.
भाना विषयमा गर्गाचार्यनो मत छे के सवारनो वखत बधा कामना वास्ते श्रेष्ठ छे. तथा बृहस्पतिनो मत छे के शकुन बधा काममां श्रेष्ट छे. अर्थात् शकुन जोइने काम करवु. तथा अंगिरानो मत छे के मननो उत्साह थाय त्यारे कार्य करवु तथा विष्णुनु वाक्य छे के ब्राह्मणनु वाक्य सर्व काममां श्रेष्ठ छ. __तथा शुभ हस्त नक्षत्रमा सारा ग्रह होय त्यारे शुभ दिवसमां सवारना वखते मंगलिक वस्तुओ लइने गुरुपासे हाथ बताववो, .
"Aho Shrutgyanam"