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________________ ४२ विश्वलोचनकोश:- [कान्तवर्गशीतचम्पकशब्दोऽयमातर्पणकदीपयोः।। सुवसन्तकमिच्छन्ति वासन्त्यां मदनोत्सवे ॥ २४३ ॥ स्याद्धेमपुष्पिका यूथ्यां चम्पके हेमपुष्पकः । कषष्ठम् 1 ग्राममद्गुरिका शृङ्गयां ग्रामयुद्धे च दृश्यते ॥ २४४ ॥ भवेन्मदनशलाका तु सार्यो कामोदयौषधौ । भवेन्मातुलजे धूर्तफले मातुलपुत्रकः ।। २४५ ॥ लूतामर्कटिका पुत्र्यां नवमालप्लवङ्गयोः । श्लोकच्छायाहरे चौरे भवेद्वर्णविलोडकः !! २४६ ॥ सिन्दूरतिलको नागे सिन्दूरतिलकस्त्रियाम् । चतुर्मासोपवासी यः स स्यात्स्नानचिकित्सकः ॥ २४७ ॥ शीतचंपक-आतर्पण ( तृप्तिकरने-मातुलपुत्रक-मामाकापुत्र, धतूराका वाली ओषधी), दीप (चंपा) (पुं०)। फल, (पुं० ) ॥ २४५ ॥ सुषसन्तक-कस्तूरमोगरा, मदनउ- लूतामर्कटिका-पुत्री, (स्त्री० ) त्सव, (पुं०) ॥ २४३ ॥ लूतामर्कटक-नवीनमालावाला, बहेमपुष्पिका-जूही, ( स्त्री० ) .. । न्दर, (पुं०) हेमपुष्पक-चम्पा (पुं० ) वर्णविलोडक-श्लोकछायाको हरने । वाला, चोर, (पुं० ) ॥ २४६ ॥ कषष्ठ । सिन्दूरतिलक-हस्ती, (पुं०)। ग्राममहुरिका-शंगी-मरस्य, ग्राम- सिन्दरतिलका-सिन्दूरतिलकवाली युद्ध, ( स्त्री० ) ॥ २४४ ॥ स्त्री, ( स्त्री० ) मदनशलाका-मैना-पक्षी, कामो- स्नानचिकित्सक-चातुर्मासका उप. द्दीपकऔषधि, (स्त्री.) । वास करनेवाला, (पुं०) ॥ २४७ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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