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________________ ३३० विश्वलोचनशकोश: इला गोभूमिपीयूषे भारत्यां सौम्ययोषिति । ओलस्तु सूरणे पुंसि स्यादार्द्रे त्वभिधेयवत् ॥ ४ ॥ कलस्तु मधुराव्यक्तशब्देऽजीर्णे कलं सिते । कला तु षोडशांशे स्यादिन्दोरप्यंशमात्रके ॥ ५ ॥ मूलार्थवृद्ध शिल्पादौ कलनाकालभेदयोः । कलिरन्त्ययुगे कन्दे कन्दले सुभटे पुमान् ॥ ६॥ कालस्तु समये मृत्यौ महाकाले यमे शितौ ॥ कृष्णे त्रिष्वथ काली स्यात्कालिकामातृभेदयोः ॥ ७ ॥ गौर्या नवाम्बुदानी क्षीरकीटापवादयोः | काला तु कृष्णत्रिवृत्ति नीलीमञ्जिष्ठयोरपि ॥ ८ ॥ कीला कफोणिघाते स्यात्कीले शङ्कौ च कीलवत् । कुलं सजातीयगणे गोत्राङ्गगृहनीवृति ॥ ९ ॥ इला - गौ, भूमि, अमृत, वाणी | काल - समय, मत्यु, महाकाल, धर्म बुधग्रहकी स्त्री, ( स्त्री० ) राज, नीला रंग, ( पुं० ) काला रंगवाला (त्रि०) ओल-जमीकंद ( पुं० ) गीला (त्रि०) काली - काला रंगवाली, मातृभेद ( (देवी भेद ), ( स्त्री० ) ॥ ७ ॥ गौरी, नवीन मेघकी घटा, दुग्धका कीट, निंदा, (स्त्री० ) ॥ ४ ॥ ( सरखती ), कल- मधुर और अप्रकट भाग, ( पुं० ) अजीर्ण ( त्रि० ) कल - वीर्य ( न० ) कला - सोलहवाँ चंद्रमा की कला, ॥ ५ ॥ मूलद्रव्यकी वृद्धि, शिल्पआदि, कलना ( संख्याजोडना ), कालभेद, (स्त्री० ) कलि-कलियुग, कन्द, कंदल (नवीन अंकुर ), योद्धा, (पुं० ) ॥ ६ ॥ [ लान्तवर्गे शब्द, काला - काली निसोथ, नीली, मँजीठ, ( स्त्री० ) ॥ ८ ॥ कीला - कील-कोंहनीसे मारना, अग्नितेज, शंकु (कीला), (स्त्री० पुं०) कुल - सजातीयसमूह, गोत्र, शरीर, घर, देश, ( न० ) ॥ ९ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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