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________________ रतृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः । वासरो दिवसे पुंसि नागभेदेऽपि वासरः। वासुरा वासितायां स्यान्निशाभूम्योश्च वासुरा ॥ १९३ ॥ भार्यारुः क्रीडया यस्य पुत्रोऽभूत्परयोषिति । तस्मिन्मृगाद्रिभेदे च भास्करो वह्निसूर्ययोः ॥ १९४ ॥ भृङ्गारी झिल्लिकायां स्यामृङ्गारः कनकालुके । भ्रमरः कामुके भृङ्गे भ्रामरं माक्षिकाश्मयोः ॥ १९५ ॥ मकरस्तु मराले स्यान्निधिराशिप्रभेदयोः । मकुरो मुकुरश्चैव दर्पणे बकुलद्रुमे ॥ १९६ ॥ मत्सरोऽन्यशुभद्वेषे मात्सर्ये क्रधि मत्सरः । त्रिषु तद्वत्कृपणयोर्मक्षिकायां तु मत्सरा ।। १९७ ॥ मन्दारः सिन्धुरे धूर्ते मधुद्रौ भृङ्गकामिनोः।। मधुरस्तु रसे पुंसि मधुरं तु विषान्तरे ॥ १९८ ॥ वासर-दिन (पुं० ) नागभेद, ! भ्रामर-शहद, पत्थर ( न० ) (पुं० ) वासुरा-हथिनी, रात्रि, पृथ्वी, | मकर-हंस-पक्षी, निधिभेद,राशिभेद, (स्त्री० ) ॥ १९३ ॥ (पुं०) भार्यारु-क्रीडाकरते जिसके परस्त्रीमें मकुर-मुकुर-दर्पण, बौलश्रीका-वृक्ष, पुत्र हुवा है वह, मृगभेद, पर्वतभेद, (पुं० ) ॥ १९६ ॥ (पुं०) मत्सर-दूसरेके शुभका द्वेष, मत्सरता, भास्कर-अग्नि, सूर्य, (पुं०)॥१९४॥ क्रोध (पुं० ) गरी-सिलिका भिी भी बोलनेवाला मत्सरता वाला, कृपण (त्रि.) कीटविशेष) ( स्त्री०) मत्सरा-मक्खी (स्त्री०) ॥ १९७॥ शृंगार-झारी (पुं० ) मन्दार-हस्ती, धूर्त, महुवा-वृक्ष, भ्रमर-कामी-पुरुष, भौंरा, (पुं० ). भौंरा, कामीपुरुष, (पुं०)॥ १९८ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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