________________
१९८
विश्वलोचनकोश:
ध्वजी द्विजे रथे शैले तुरङ्गे च भुजङ्गमे । नन्दनो हर्ष पुत्रे नन्दनं मिश्रकावने ॥ ७८ ॥ नन्दनी तु मता देवधुनीधे नुननान्दृषु । नन्दी नन्दीश्वरे गर्दभाण्डन्यग्रोधवृक्षयोः ॥ ७९ ॥ नलिनी तु सरोजिन्यां सरोजे च सरोवरे । व्योमगङ्गामलिकयोः नलिनं तु जलाब्जयोः ॥ ८० ॥ निदानं रोगनियमेऽप्यादिहेत्ववमानयोः । वत्सदाम्नि निदानं स्यान्निधनं कुलनाशयोः ॥ ८१ ॥ पत्री काण्डखगश्येननगर थिके रथे । पद्मिनी पद्मनलिनीसरस्सु वनितान्तरे ॥ ८२ ॥ पर्व स्यादुत्सवे ग्रन्थौ दर्शप्रतिपदोरपि । तत्सन्धौ विषुवादौ च प्रस्तावे लक्षणान्तरे ॥ ८३ ॥
ध्वजिन्- ब्राह्मण, रथ, पर्वत, सर्प, ( पुं० )
नंदन - हर्षकरनेवाला, पुत्र, नन्दन - इंद्रका बगीचा, ( न० ) ॥ ७८ ॥ नंदनी - गंगा, धेनु-भेद, ननद, (स्त्री०) नन्दिन्- नंदीश्वर - रुद्रगण, पारसपीपल,
बड़ - वृक्ष, (पुं० ) ॥ ७९ ॥ नलिनी - कमलिनी, कमल, सरोवर, आकाशगंगा, आँवला, (स्त्री० ) नलिन-जल, कमल, ( न० )
आदिका -
॥ ८० ॥
निदान - रोगोंका दूरकरना,
[ नान्तव
बछड़ाकी रस्सी,
रण, अपमान,
( न० )
निधन -कुल, नाश, ( न० ) ॥८१॥ पत्रिन् - बाण - पक्षी, शिकरा, पर्वत, वृक्ष, रथरवान, रथ, (पुं० ) पद्मिनी - कमल, कमलिनी, सरोवर, स्त्रीभेद, (स्त्री० ) ॥ ८२ ॥ पर्वन् उत्सव, ग्रंथि, अमावस्या, प्रतिपदा, अमावस्या प्रतिपदाकी संधि, समानदिनरात्रिवाला काल आदि, प्रस्ताव, लक्षणभेद, ( न० ) ॥ ८३ ॥
" Aho Shrutgyanam"