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विश्वलोचनकोश:
लक्ष्येऽपि छर्दनस्तु स्यान्निम्बालम्बुषवन्तिषु | छेदनं भेदने छेदे जगस्तुर्जन्तुशुष्मणोः ॥ ६६ ॥ जघनं वनिताश्रोणी पुरोभागे कटावपि । जयनं तु जये वाजिगजप्रभृतिकञ्चुके ॥ ६७ ॥ यवनो यवमात्रेऽपि यवाधिकतुरङ्गमे । देशभेदे तुरुष्केsपि जवनः प्रजवे त्रिषु ॥ ६८ ॥ तपनो रविसन्तापे भलके नरकान्तरे । तमोघ्नश्चन्द्रसूर्याऽमिबुद्ध श्रीकण्ठविष्णुषु ॥ ६९ ॥ तलिनं विरले स्तोके स्वच्छ गम्भीरयोरपि । तलुनः पवने यूनि वाच्यवत्तलुनी स्त्रियाम् ॥ ७० ॥ तेमनं व्यञ्जने दे चुल्लिकाभिदि तेमनी । तोदनं व्यथने तोत्रे त्यागी सूरेऽपि दातरि ॥ ७१ ॥
[ नान्तवर्गे
छर्दन - निशाना, नींब, लजालूभेद, | तपन - सूर्य से गरम ( धूप ), भिलावा, नरकभेद, (पुं० )
छर्दि (त्रि०)
छेदन-भेदनकरना, (770)
गम्भीर, (त्रि०)
छेदनकरना, तमोघ्न- चंद्रमा, सूर्य, अग्नि, बुद्धदेव, महादेव, विष्णु, (पुं० ) ॥ ६९ ॥ जगन्-जन्तु, अग्नि, ( पुं० ) ॥ ६६ ॥ तलिन - विरल (कोई ), थोड़ा, स्वच्छ, जघन - स्त्रीकी श्रोणियोंका अग्रभाग ( जाँघ ), और कटि, ( न० 。) जयन-जय, अश्व (घोडे) हाथी आदि का कवच ( न० ) ॥ ६७ ॥ यवन - जवमात्र, जवभरजादा अश्व, देशभेद, यवन ( मुसल्मान ) जा. ति, ( पुं० )
तलुन - वायु, (पुं० ) जवान, (त्रि०) तलुनी- (- जवान स्त्री, (स्त्री० ) ॥ ७० ॥ तेमन - व्यंजन ( शाक ), गीला, ( न० ) तेमनी - चूल्हाभेद ( स्त्री० ) तोदन - पीड़ा, बैलआदि हाँकने की पैनी, ( न० )
जवन बहुत वेगवाला (त्रि० ॥६८॥ त्यागिन् शूर, दाता, (पुं० ॥७१॥
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