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________________ १६५ थतृतीयम् । ] भाषाटीकासमेतः ।। कायस्थस्तु नृणां जातिप्रभेदे परमात्मनि । कायस्था स्याद्वयस्थायां पथ्यायां कायगे त्रिषु ॥ १९ ॥ गोग्रन्थिस्तु करीषे स्याद्गोष्ठे गोजिबिकौषधौ । दमथस्तु दमे दण्डे निर्ग्रन्थः क्षपणेऽधने ॥ २० ॥ बालिशेऽपि निशीथस्तु निशामात्रार्द्धरात्रयोः। प्रमथः शङ्करगणे पथ्यायां प्रमथा तथा ॥ २१ ॥ वयःस्था शाल्मलीपथ्याकाकोल्यामलकीषु च । ब्राह्मीत्रुटिगुडूचीषु वयस्थस्तरुणे त्रिषु ॥ २२ ॥ मन्मथः कामचिन्तायां कामदेवकपित्थयोः । वमथुः पुंसि वमने मातङ्गकरशीकरे ॥ २३॥ वरूथो रथगुप्तौ ना वरूथं चर्मवेश्मनि । विदथो योगिकृतिनोः शमथः शान्त्यमात्ययोः ॥ २४ ॥ --- --- --------- कायस्थ-मनुष्योंकी जातिका भेद वयःस्था-सेमलका-वृक्ष, हरड़, का ( कायथ ), परमात्मा, (पुं) कोली, आँवला, ब्राह्मी, छोटी इलाकायस्था-जवान उम्रमें स्थित स्त्री, यची, गिलोय, ( स्त्री०) वयःस्थ. हरड, (स्त्री० ) शरीरमें स्थित ! जवान, (त्रि० ) ॥ २२ ॥ (त्रि.)॥ १९ ॥ मन्मथ-कामचिन्ता, कामदेव, कैगोग्रन्थि-आरना, गौवोंका ठान, थका-वृक्ष, (पुं०) गोभी या गावजवी-औषधि, (पुं० स्त्री.) वमथु-वमन, हस्तीकी सूंडके जलदमथ-इंद्रियांका रोकना, दण्ड, (पुं०) ! कण, (पुं० ), ॥ २३ ॥ निर्ग्रन्थ-मुनि, निर्धन, ॥२०॥ वरूथ-रथकी रक्षाके लिये लोहादिमूर्ख, (पुं०) ___ मयपरदा, (पुं०) चर्मका डेरा निशीथ-रात्रिमात्र, अर्द्धरात्र, (पुं०)! (तंबू ) ( न०) १ प्रमथ-महादेवके गण, (पुं०) प्र. विदथ-योगी, पंडित, (पुं०) मथा, (हरड) स्त्री०) ॥ २१ ॥ शमथ-शान्ति, मंत्री, (पुं०) ॥२४॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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