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________________ (४१२) मेघमहोदये भाद्रपदसिंहसंक्रमदिने वर्षा जलदधन्धनी पुरतः । संक्रान्तेर्दिनयुग्मान्तरे न वृष्टिर्यदा दृष्टा ॥१३८॥ आश्विनस्यापि संक्रान्तौ दृष्टे मेघमहोदये। राजयुद्धं प्रजाः स्वस्था धान्यैरापूर्यते जगत् ॥१३९॥ मासे भाद्रपदे प्राप्ते संक्रान्तौ यदि वर्षति । बहुरोगाकुला लोका आश्विने शोभनं पुनः ॥१४॥ +कार्तिके मार्गशीर्षे वा संक्रान्तौ यदि वर्षति । मध्यमं कुरुते वर्ष पौषमासे सुभिक्षकृत् ॥१४१॥ यदाह लोक:-कातीमासि महावठो, जह संकेतिय अंति। बरसे मेह समोकलो, अवर म आणे चिंत ॥१४२॥ xकातीमासि अमावसि, संकंति सनिवार । गोरी खगडे गोखरू, किंहा न लभइ वार ॥१४॥ * अइह भद्दह सयभिसि, जोइ संकमतो भाण । को रोके और संक्रांतिके दो दिनके भीतर वर्षा न हो तो आगे वर्षा हो । १३८॥ आश्विन मासकी संक्रांतिके दिन वर्षा हो तो राजाओंमें युद्ध, प्रजा सुखी और पृथ्वी धान्यसे पूर्ण हो ॥१३६!! भाद्रपदमासमें संक्रांतिके दिन वर्षा हो तो लोक बहुतसे रोगोंसे व्याकुल हो, अाश्विनमें अच्छा हो ॥१४॥ कार्तिक या मार्गशीर्ष की संक्रांति को यदि वर्षा हो तो मध्यम वर्ष हो और पौष में सुभिक्षकारक हो ॥१४ १॥ लोकिक में भी कहा है कि- कार्तिक में संक्रांति के अंत में महावटा (वर्धा) हो तो आगे वर्ण बहुत बरसे चिंता नहीं करो ॥१४२॥ कार्तिक अमावस या संक्रतिके दिन शनिवारको वर्षा हो तो कहीं भी वर्षा न हो ॥१४३॥ पार्दा, पूर्वा तथा उत्तराभाद्रपद और शतभिषा इन नक्षत्रों के दिन सूर्यसंक्रमण हो तो युगप्रलय जानना ऐसा +टी-कार्तिकद्वये संक्रान्तिदिनवृष्टी वर्षमध्यमम् । xटी-संक्रान्तो शनिवारः। *टी-श्राद्रा पूर्वोत्तराभाद्रपदे २शतभिषक ३ अत्र सक्रमी निषिद्धः। "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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