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________________ (३८२) hearter ता पढमा दो मासा होइ सुभिक्खं सुहं न संदेहों । दो उवरि पुणो मासा सस्सविणासेण दुक्कालो || २५७॥ अहँ पहरा चउरो अहवा जइ होइ उत्तरा जोगो । सरसाणं ता हाणी रसाण तह तिलदग्वाणं ॥ २५८ ॥ में द्वादशपूर्णिमाविचार: त्रस्य पूर्णिमास्यां हि निर्मलं गगर्न शुभम् । तहिने ग्रहणं तारा-पात भूकम्पवृष्टयः ॥ २५९ ॥ रजोवृष्टिः परिवेषो विद्युत्केतृदयादिना । उत्पातेन च सङ्ग्राहां धान्यं धातुव्ययादितः ॥ २६० ॥ विक्रये सप्तमे मासे भाद्रे विगुणलाभदम् । वैशाख्यामीदृशे चिहे कार्पासस्य महर्घता ॥२३१॥ गोधूममुद्रमाषादेः सङ्ग्रहो लाभकारणम् । क्रियागुणत्वेन मासे भाद्रपदे भवेत् ॥ २३२॥ ज्येष्ठस्य पूर्णिमाऽनभ्रा शुभाय कथिता बुधैः । महीने में धान्यका विनाश होनेसे दुष्काल हो ॥ २५६-५७॥ आठ या चार प्रहर तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो तो धान्य रस तिल आदि द्रव्य -इन का विनाश हो ॥२५८॥ इति फाल्गुनमासः ॥ , चैत्र मास की पूर्णिमा को आकाश निर्मल हो तो शुभ है, यदि उस दिन ग्रहण हो, तारा का पात, भूकंप, वृष्टि ॥ २५६ ॥ रज: (धूली) की वर्षा, चंद्रमाका परिवेष (घेरा) बिजली चमके और केतु का उदय, ऐसे उत्पात हो तो धातु आदि बेचकर धान्य का संग्रह करना उचित है | २६० ॥ इस को माद्रपद में या सातवें महीने बेचने से दूना लाभ हो । वैशाख पूर्णिमा को भी ऐसे चिह्न हो तो कपास महँगे हो ॥ २६९ ॥ गेहूँ मूंग उड़द आदि का संग्रह करने से लाभदायक है, भाद्रपद में दूने लाभसे वे ॥२६२॥. ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा स्वच्छ हो तो अच्छी है और वर्षा "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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