SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 323
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्षराजादिकफलम् (३०३) भाने चतुर्दशीवृष्टिजने रोगाय जायते ॥२५८॥ इति । आश्विनमासफलम्--- आश्विनस्य चतुर्यो चेद् वादलान्यरुणोदये । तदा क्षेमाय लोकानां वृष्टिः सजायते शुभा ॥२५॥ आश्विनस्यासिते पक्षे दशम्यां यदि बादलम् । विधुवर्षाथवा माष-तिलानामर्घवृद्धये ॥२६॥ सप्तम्याऽऽश्वयुजिमासे सितेऽष्टमी जलान्विता । सुभिक्षं तत्र चादेश्यं राजानः शान्तविग्रहाः॥२६॥ इति । कार्तिकमासफलम्--- एकादश्यां कार्तिकस्य यदि मेघः समीक्ष्यते । प्राषाढे च तदा वृष्टि-र्जायते नात्र संशयः ॥२६२॥ द्वितीयायां तृतीयायां कार्त्तिके वृष्टिलक्षणम् । भाविवर्षे यहुजलं न चेत् तस्मिन्न वर्षणम् ॥२६॥ द्वादश्यां कार्तिके रात्रौ मार्गस्य दशमीदिने । है । भाद्रमासकी चतुर्दशी को वर्षा हो तो मनुष्यों को रोग करती है ॥२५८॥ इति भाद्रनासफलम् ।। आश्विनमासकी चतुर्थी के दिन यदि सूर्योदयके समय बादल हो तो मनुष्यों के कल्याण के लिये श्रेष्ठ वर्षा हो ॥ २५६ ॥ आश्विन कृष्णा दशमी के दिन यदि बादल बिजली या वर्षा हो तो उड़द और तिल महँगे हो। २६०॥ आश्विन शुक्ल सप्तमी और अष्टमी जल युक्त होतो सुभिक्ष और राजामों में संग्राम आदिकी शान्ति रहे ।। २६१ ॥ इति आश्विनमासफलम् ॥ कार्तिकमासकी एकादशी के दिन बादल दीखे तो आबाढमास में वर्षा हो इसमें संदेह नहीं ॥२६२॥ कार्तिक की द्वितीया और तृतीया के दिन वर्षाका लक्षण हो तो अगले वर्षमें अधिक वर्षा हो अन्यथा वर्षा न हो। २६३॥ कार्तिक द्वादशी को रात्रिके समय, मार्गशिर दशमीको दिनमें, पौष "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy