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________________ (२५६) मेघमहोदये सोमे दिनशतं वृष्टिश्चत्वारिंशच्च मङ्गले ॥१२६।। बुधे षष्टिदिनैवृष्टि-रशीति दिवसा गुरौ। शुक्रे दिनानां नवतिः शनौ विंशतिरेव च ॥१३॥ तिथिवारमध्ये रोहिणीदिनफलम्पक्षान्तः प्रतिपहिने भवति चेद ब्राह्मोतदा चिन्तितः, कालस्तत्परतः सुभिक्षमशनं स्तोकं तृतीयादिने । धान्य भूरितरं तुरीयदिवसे किश्चिन्न किश्चित् पुनः, पञ्चम्यां गगनेऽतिवादलघन-च्छायाथ षष्ठीदिने ॥१३॥ सप्तम्यां जलशोष उत्तरदिशि स्यादन्ननाशोऽष्टमी तिथ्यां कष्टमतीव वाणिजकुले भूम्यां नवम्यां भवेत् । सौभिक्ष्यं दशमीदिने जनभयं धान्यं महर्य तथै- .. कादश्यां वणिजां भयं परिभवः स्याद् द्वादशीसङ्गमे।१३२॥ वृष्टिः स्वल्परसा त्रयोदशदिने वर्षा पुनर्भूयसी, नूनं भूततिथौ जलं नभसि न स्यात् पूर्णिमादर्शयोः । वर्षा हो ॥१२६॥ बुधवार हो तो ६० दिन, गुरुवार हो तो ८० दिन, शुक्रवार हो तो ६० दिन और शनिवार हो तो २० दिन वर्षा बरसे ॥१३०॥ पक्षके अन्तमें एकमके दिन रोहिणी नक्षत्र पर सूर्य आवे तो दुकाल, दूजके दिन रोहिणी हो तो मुभिक्ष, तीजके दिन हो तो थोड़ी अन्न प्राप्ति, चोथके दिन हो तो अधिक अन्न प्राप्ति, पंचमी के दिन हो तो कुछ भी अन्न न हो या थोडासा हो, छठके दिन हो तो आकाश मेघाडंबरसे आच्छादित रहे ॥१३१ ॥ सप्तमीके दिन रोहिणी हो तो उत्तर दिशा में जल सूख जाय, अष्टमीके दिन हो तो अन्नका नाश हो, नवमी के दिन रोहिणी हो तो भूमि पर वणिक कुलको अधिक कष्ट पड़े । दशमीके दिन हो तो मुकाल, एकादशीके दिन हो तो धान्य महँगे और मनुष्यों को भय हो, द्वादशीके दिन हो तो वैश्योंको भय और परिभव हो, तेरस के दिन हो तो थोडा रसवाली "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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