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________________ अयनमासंपनदिननिरूपणम् तदा नगरभङ्गः स्या-च्छन्नभङ्गो महर्षता ॥७॥ .. मतान्तरे-अनेकयुगसाहरू गद् देवयोगात् प्रजायते। प्रयोदशदिनैः पक्ष-स्तदा संहरते जगत् ।।७४॥.. यवन्धकारपक्षस्थ त्रुटिर्मासचतुष्टये।........ निरन्तरं तदा भूम्यां सुभिक्षं विपुलं जलम् ॥७॥ सम्पते वरिसकाले पढमे पक्खे वि जइ पडेइ । . . . तिही तह देसभङ्ग-रोरवं हवइ बहुलोगसंहारो ॥७॥ पञ्चमी श्रावणे हीना सप्तमी भाद्रपादके। . . . . . . आश्विने नवमी नेष्टा पौर्णिमासी च कार्तिके ॥७॥ भाद्रपदे पौषयुगे सितपक्षे पतति या निथिस्तस्याः। विगुणदिनपमरणं यदि वा दुर्भिक्षमतिरौद्रम् ।।७८॥ ..: यस्मिन् मासे शुक्लपक्षे तृतीया वा चतुर्थिका । पतेत्तदा मुद्गघृतमहर्घत्वं भवेद भुवे ॥७९॥ अन्तर में तेरह दिनका पक्ष होता है इसमें नगर का भंग, छत्रभंग और धान्यकी महर्घता हों !! ७३ ॥ मतान्तरसे-- अनेक हजारों युग बीत जाने पर दैवयोगस तेरह दिनका पक्ष होता. है, इसमें जगत् का नाश होता है ॥ ७४ ।। यदि चौमासेके चार मास में कृणपक्षका क्षय हो तो भूमि पर सर्वदा बहुत वर्षा हो और सुभिक्ष हो । ७५ ।। यदि वर्षा कालमें प्रथम पक्ष याने शुक्लपक्षमें तिथिका क्षय हो तो देशका नाश, घोर उपद्रव और मनुष्योंका संहार हो ॥ ७६ ॥ श्रवण में पंचमी, भादोंमें सप्तमी, आश्विनने नवमी और कार्तिक पूर्णिमाका क्षय हो तो अनिष्ट है ॥ ७ ॥भाद्रपद, पौष और माघ मासमें शुक्लपक्षकी तिथिका क्षय हो तो उससे दूगुने दिनों में राजा का मरण अथवा महा घोर दुर्भिक्ष हो ॥ ७८ ॥ जिस महीने में शुक्ल पक्षकी तृतीया या चतुर्थीका क्षय हो तो उस महीनमें पृथ्वी पर मूंग और घी महँगे हों ॥७६।। भाद्रपद पौष और माघ मासमें उपरोक्त तिथिका "Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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