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जन्मसमुद्रः
तो सगर्भा स्त्री का मरण होता है। यदि सूर्य सातवें स्थान में और मंगल लग्न में रहा हो तो शस्त्र से मृत्यु होगी। अथवा मंगल चौथे स्थान में और सूयं बारहवें स्थान में रहा हो और क्षीण चन्द्रमा किसी भी स्थान में हो तो भी शस्त्र से मृत्यु होगी ऐसा कहना ॥७॥
अथान्यद् योगान्तरमाह
क्विन्द्वारेक्ष्ये यमे साङ्ग वेष्टादृष्टेऽन्त्यगैः खलैः ।
वाङ्गन्दू पापमध्यस्थौ सौम्यादृष्टौ समं पृथक् ॥८॥ यमे शनौ साङ्ग लग्नस्थे क्विन्द्वारेक्ष्ये क्षीणचन्द्रकुजाभ्यां दृष्टे तस्या मृतिः । वाथवाङ्ग लग्ने इष्टादृष्टे शुभैरदृष्टे सति खलैः पापैरन्त्यगादशगैस्तस्या मृतिर्वाच्या । वाथवा लग्नेन्दू सौम्यादृष्टौ सौम्यैः पूर्णेन्दुबुधगुरुशुऊरदृष्टौ पापमध्यस्थौ पापद्वयमध्यगतौ सममेकराशावेव पृथक् तौ भिन्नौ पापद्वयमध्यस्थौ कथं ज्ञेयौ ? तद्यथा- लग्नस्थे चन्द्र यद्येक पापो व्ययगः, द्वितीयो धनङ्गतस्तदा समं पापद्वयमध्यगतौ तदा सगर्भा नारी म्रियेत । अथ पृथगेतौ लग्नेन्दू पापद्वयमध्यगौ स्यातां तदापि तस्या मृतिः । अत्र योगकर्तृणां मध्याद् यो बलवांस्तस्य मासे गुविण्या मृतिः । अर्थात् सौम्यद्वयमध्यस्थौ लग्नेन्दू शुभदृष्टौ यदि तदा द्वयोः क्षेमः ।।८।।
लग्न में रहा हया शनि को मंगल और क्षीण चन्द्रमा देखता हो तो गभिणी की मृत्यु होती है। अथवा लग्न को कोई शुभग्रह न देखते हों और बारहवें स्थान में पापग्रह हों तो भी मृत्यु कहना । अथवा लग्न और चन्द्रमा को कोई शुभग्रह (पूर्ण चन्द्रमा, बुध, गुरु और शुक्र ) न देखते हों और दो पापग्रहों के बीच में हो तो भी मृत्यु कहना। लग्न और चन्द्रमा दोनों एक साथ हो या अलग २ रहे हों मगर उक्त योग होना चाहिए। इन योगों को करने वाले ग्रहों में जो ग्रह बलवान हो उसके मास में मृत्यु कहना। परन्तु लग्न और चन्द्रमा शुभ ग्रहों के बीच में हो और शुभग्रह देखते भी हों तो गर्भ और गभिरणी दोनों के लिए कल्याणदायक है ॥८॥
अथ पुस्त्रियोः शुभाशुभज्ञानमाह -
सूर्यादस्ते यमे वारे पुसो रुग्वा विधोः स्त्रियः।
स्वान्त्ये तथा स्वमास्यन्तेऽर्केऽब्जेऽप्येकाग्ययुग्दृशि ॥६॥ सूर्यात् सूर्ययुतराशितोऽस्ते सप्तमस्थे यमे शनौ वाथवा पारे भौमे पुसो रुग् रोगो मृत्यु । वाथवा विधोश्चन्द्रयुतराशितः सप्तमस्थे शनौ भौमे वा स्त्रिया गुविण्या रोगः । क्व मासि निजमास इत्यर्थः । तथा तेन प्रकारेण सूर्यात् स्वान्त्ये कुजशन्योर्मध्यादेकस्मिन् स्वे द्वितीयेऽपरस्मिन् अन्त्ये व्ययगे पुसो रोगः । एवं चन्द्रात् स्त्रियो रोगो मृत्यु, । तयोकुजशन्योर्यो बली तदुक्तमासि मृत्युः । अपि
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