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________________ श्रीकल्याणतिलकगणिविरचिता उज्जेणीनरनाहो, समागओ सम्मुहं महाजुदं । काउ(ऊ)ण जिओ नहो, उज्जेणीए पविहो सो ॥२८॥ ---ते आवी सांभली गई भिल्ल राजा संमुख आवी स्थस्युं रथ घोडासुं घोडा, पायकसुं पायक, हाथीसं हाथी, राजासु राजा, धनुर्धरसुं धनुर्धर-इम न्यायइ महायुद्ध करी सगराजाइ जीतउ हुंतउ गईभिल्ल नासी नगरीमाहि पइठउ ॥२८॥ अह सूरी सगसहिओ, रोहं काऊण संठिी तत्य ।। समरंगणं च जायइ, दिणे दिणे उमयपक्खम्मि ॥२९॥ -~-अथानंतर सूरि सगसहित गढरोहो करी तिहां रहउ । दिने दिने बिहुं दले संग्रामा(समरां)गण हुइ ॥२९॥ अह अन्नया समेया, सगुरु(सगा) पुच्छंति कालिगायरियं । दुग्गं सुन दीसइ, जुझं न इवइ अज्ज ! कहं ? ॥३०॥ --अन्य दिने सग आवी कालिकाचार्यनइ कहइ स्वामी आज युद्ध न हुइ । गढ सूना दीसइ ते काई ! सूरि भणइ ॥३०॥ किण्हहमीदिणो सो, आराहइ गर्भि महाविज । तन्वयणसवणयाए[3], परवलं जाइ पंचतं ॥३१॥ -आज कृष्णाष्टमी दिन ते राजा गईभी विद्या साधइ छइ । तेहना वचन सांभली करी परबल पंचत्व भणीए मरण ते पामह । रौद्र गईभी विद्या वर्तइ । कोउ उपाय करिवउ ॥३१॥ कोसदुगं गंतूणं, सबरं संठविय तत्थ जुन्झमुहो । सूरी अछुत्तरसयं, गहिऊणं सदवेहीणं ॥३२॥ — कालिकाचार्य बि गाउ पाछा जाइ । सबर सैन्य तिहां राखी । जुद्धाभिमुख अट्ठोत्तर सय सब्दवेधी सुभट लेई तिहां भणी चाला ॥३२॥ तत्थागओ सुमुहढो, कलायरो कालिगायरिओ सूरी । जाय पसारेइ मुहं, सरेहि भरियं मुहं ताए ॥३३॥ ---जेतलइ सुभट कलासागर कालिकाचार्य तिहां आव्यउ तेतलइ मंत्रनइ योगि गईभीई मुख पसारं । सब्दवेधी सुभट सहित आचार्य समकाल तेहनूं मुख माथा सम तूणीर समान कीधउ । सरे भरं ॥३३॥ मुत्तपुरीसनिसग्गं, काउ(ऊ)णं तम्मुहे तओ नहा । गहियं पुरं स गहिओ, गद्दभ इव गद्दभिल्लनिको ॥३४॥ -पछह ते गईभी मल मूत्र तेहनइ मुख करि तिहां हुंती नाठी । ते नगर लोधउ । ते गर्दभिल्ल राजा गर्दभनी परि झालउ । सगे आचार्य समीपि आणउ ॥३४॥ भणिओ सो मुरीह(हिं), रे दुरायार ! [?] पावतरुपुष्प॑ । एवं भवंतरे पुण, पाविहिसि अओ य नरयफळ ॥३५|| ---आचार्य ते बोलाव्यउ । इसु कहउं; " दुराचार ! पापतरुनीयं पापतरुनु फरफूल, ए राजभ्रंसपणुं । भवांतरे ए साध्वीना सीलखंडन लगी नरकादिकना दुक्खरूप फल पामीसि ॥३५॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009529
Book TitleKalikacharya Kathasangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherKunvarji Hirji Naliya
Publication Year1949
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size11 MB
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