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________________ क्रिया-कोश ३३६ होता है तथा अग्निकाय को बुझाने वाला पुरुष अल्पकर्म वाला, अल्पक्रिया वाला, अल्प आस्रववाला तथा अल्प वेदनावाला होता है क्योंकि जो पुरुष अग्निकाय को प्रज्वलित करता है वह पुरुष बहुत पृथ्वीकाय का समारंभ करता है, बहुत अपकाय का समारंभ करता है, थोड़ी अग्निकायका समारंभ करता है, बहुत वायुकाय का समारंभ करता है, बहुत वनस्पतिकाय का समारंभ करता है तथा बहुत त्रसकाय का समारंभ करता है तथा जो पुरुष अग्निकाय को बुझाता है वह थोड़ी पृथ्वीकाय, थोड़ी अपकाय, थोड़ी वायुकाय, थोड़ी वनस्पतिकाय, थोड़ी सकाय का तथा अधिक अग्निकाय का समारंभ करता है अतः जलाने वाले पुरुष को महाकर्म वाला इत्यादि कहा गया है तथा बुझाने वाले पुरुष को अल्पकर्मवाला इत्यादि कहा गया है। ५ नारकी जीवों में चौपदी की अपेक्षा तुलना :--- अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवी पंच अणुत्तरा महइमहालया जाव अपइट्ठाणे xxx तेसु णं नरएसु नेरइया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेयणतरा चेव, नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, नो अप्पकिरियतरा चेव, नो अप्पकम्मतरा चेव नो अप्पकिरियतरा चेव, नो अप्पासवतरा चेव, नो वेयणतरा चेव xxx छट्ठीए णं तमाए पुढवीए एगे पंचूणे निरयावाससयसहस्से पन्नत्तेxxx तेसु णं नरएसु नेरझ्या अहेसत्तमाए पुढवीए नेर इएहितो अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेयणतरा चेव, नो तहा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, नो महावेयणतरा चेव । xxx। तेसु णं नरएसु नेरइया पंचमाए पुढवीए नेरइएहिंतो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेयणतरा चेव, नो तहा अपकम्मतरा चेव, नो अप्पकिरियतरा चेव, नो अप्पासवतरा चेव, नो अप्पवेयणतरा चेव xxx एवं जहा छट्ठीए भणिया एवं सत्त वि पुढवीओ परोप्परं भण्णंति–जाव-.. रयणप्पभत्ति xxx1 -भग० श १३ । उ ४ । प्र २ । पृ० ६८२ सातवीं नारको के नरकावासों में स्थित नारकी जीव छछी तमप्रभा पृथ्वी के नारकी जीवों की अपेक्षा महाकर्म वाले, महा क्रिया वाले, महास्रव वाले, महावेदना वाले होते हैं परन्तु अल्पकर्म वाले, अल्पक्रिया वाले, अल्पास्त्रववाले, अल्पवेदना वाले नहीं होते हैं । छट्टी तमप्रभा नारकी के नरकावासों में स्थित नारकी जीव सातवी नारकी के नारकी जीवों की अपेक्षा अल्पकर्म वाले, अल्पक्रिया वाले, अल्पालव वाले, अल्पवेदनावाले "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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