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________________ सूत्रम्: गोः स्वरेय गोधाया तुष्टेणार गीजीक्ष- बत्मीष्ट्र बाजीरभू मनुष्य राजन्य राजपुत्रादकञ् ६-२-१२ गोरथ-बालतू ल कट्टयलूलः ६-२-२४ ६-२-५० गोपुरीचसे गोत्रादर्कवत् गोत्रीत्तरपदाद गोत्रादिवाड ६-२-१३४ जिव्धाकात्य प्रतिकात्यातू गोष्टी-सैकी नेकेली गोमली शूरसीनबाहीक रोमकपटज्यसत् ग्राम- जन- बंन्धु - राज महायात् तल् ग्रामादीनञ् च इमोहपत्ये त्यावृत्यूड चटकाणी स्त्रियां तुलुप् चतुष्पाद्भ्य एवञ चर्मि- वर्मि- गारेट कार्कट्य - काक लटकावाकिनाथ कश्चान्तोडन्त्यस्वरात् चन्द्रयुक्तात काले लुत्वप्रयुक्त - चराणाद् धर्मवत वैनी कार्तिकी - फाल्गुण श्रवणादूक जष्ट-प्राण्टातू ulincs ell etal: जीवन्त पर्वतावा ञिदार्षादजिञोः हिंदू वाहाग् णश्च विश्ववसी विशलुकू चवा तद्धितोऽणादिः सूत्राः ६-१-२७ ६-१-८१ तदत्रास्ति नद्देत्यधीते तत्रोद्धते पात्रेभ्यः तालाद् धनुषि तिकादेरायनिञ् तिक विसवादीनी तिलयवादनानि तृषादेः सलू मेन निर्वृते तेन धन्नेरथे &-9-92 ६-३-२६ ६-२-२८ ६-३-९ ६-१-२८ ६-१-७० ६-१-७९ ६-१-८३ ६-७-११२ ६-२-६ ६-२-२३ ६-२-१०० ६-१-८२ ६-२.६० ६-५.९२ ६-१-५८ ६-१-१४० ६-२-१३६ ६-१-६५ &-9-9 ६-२-७० ६-२-११७ ६-२-१३८ ६-२-३२ ६-१-१०७ पृष्ठः पृष्ठ- २७ पृष्ठ - ६६ पृष्ठ - ११७ पृष्ठ - १२१ पृष्ठ - १३३ पृष्ठ - १६८ पृष्ठ - १२ पृष्ठ - १८१ पृष्ठ- १२३ पृष्ठ-१७५ पृष्ठ- २७ पृष्ठ- ६१ पृष्ठ - ६४ पृष्ठ - ६६ पृष्ठ- ८२ पृष्ठ - ११२ पृष्ठ - १२० पृष्ठ - १५२ पृष्ठ - ६६ पृष्ठ १३७ पृष्ठ- ७१ पृष्ठ- ५२ पृष्ठ- १० पृष्ठ- १६८ पृष्ठ- ५७ 9 पृष्ठ - पृष्ठ - १४२ पृष्ठ - १५८ पृष्ठ - १६९ पृष्ठ - १०५ पृष्ठ- ७९ ६-१-१३१ पृष्ठ- १०० ६-२-५२ पृष्ठ - १३४ ६-२-८१ पृष्ठ - १४७ ६-२-७१ पृष्ठ - १४३ ६-२-१३१ - पृष्ठ - १६६ सूत्रम्: दगु- कोशल कर्मार च्छाग वृषादि दघ्न इकण दक्षिणा पश्चात पुरसस्त्याग दितैश्य वा दिक्पूर्वपदादनाम्नः दुष्कुलादेयण वा दुनादि- कुर्वित् कोशलाजादाज्य दूसदेत्यः दृष्टे साम्निनाम्नि देवाहुअ च देवता दीरप्राणिन दोरीयः इन्द्रादीयः द्रयादेस्तथा द्रीञोवा रञणीप्राच्यभगदिः दीर्णावा द्रीयः प्रागपागुदक् प्रतीचे । यः द्वषया स्तत्पुररुषेयआदेव द्यावापृथिवीशुकसीराग्नीषोम मरुत्वद वास्तीष्यति मेघादीय बौ द्विगीरनपत्ये यस्वरादेर्लुबद्धि : द्विस्वरादन्या द्विस्वरादाण धनादेः पत्युः धेनीरनञः मडादिभ्य आयनागू न प्रागूजितीये स्वरे नद्विस्तुवय- गीमयफलातू नयां मतुः - नड-कुमुद- वेतस महिषाड्डीत नडा-शादाद बलः नडादेः कीयः अयु-जती वीडन्तीक्ष त्यदादि त्ये बा नूयादेरेयण नद्विस्वरात प्रागभरतात नाग्निका निवासादरभवे इति देशे नाम्नि " Aho Shrutgyanam" बाळूः ६-१-१०८ ६-२-१४३ ६-३-१३ ६-१-६९ ६-३-२३ ६-१-९८ &-9-990 ६-३-४ ६-२-१३३ ६-१-२१ &-2-909 ६-२-४९ ६-३-३२ ६-२-७ ६-१३२ ६.१.१३९ ६-१-१२३ ६-२-५९ ६-२-४३ ६-३-८ ६-१-१३४ ६-२-१०८ ६-१-२४ ६-१-७१ ६-५ -५०९ 8-9-98 ६-२-१५ ६-१-५३ ६-१-१३५ ६-२-६१ ६-२-७२ ६-२-७४ ६-२-७५ ६-२-१२ ६-२-३३ ६-१७ ६-१-२५ ६-३-२ ६-३-३९ ६-३-५४ ६-२-६९ पृष्ठः पृष्ठ- ८० पृष्ठ- १७ पृष्ठ - १७६ पृष्ठ- ६० पृष्ठ - १८० पृष्ठ- ७४ पृष्ठ- ८८ पृष्ठ- १७४ पृष्ठ - १६७ पृष्ठ- २३ पृष्ठ - १५२ पृष्ठ - १३२ पृष्ठ - १८४ पृष्ठ - ११३ पृष्ठ-१०१ पृष्ठ - १०६ पृष्ठ- ९० पृष्ठ- ५:२ पृष्ठ - १२९ पृष्ठ - १७४ पृष्ठ - १०२ पृष्ठ - १५४ पृष्ठ- २४ पृष्ठ - ६१ पृष्ठ ८५ पृष्ठ - १६ पृष्ठ - ११८ पृष्ठ- ४९ पृष्ठ- १०३ पृष्ठ- १३७ पृष्ठ - ११४ पृष्ठ- १४५ पृष्ठ- १४५ पृष्ठ - १४८ पृष्ठ - १२६ पृष्ठ- ६ पृष्ठ- २७ पृष्ठ-१७३ पृष्ठ- १८३ पृष्ठ- १३४ पृष्ठ - १४.
SR No.009518
Book TitleBruhannyasa Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLavanyasuri
PublisherSiddhhem Prakashan Samiti Botad
Publication Year1983
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size10 MB
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