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के खाने का भाव (इच्छा) आवे ही नहीं। यदि पण्डितजी कहते हैं कि अभक्ष्य का भक्षण मत करो तो तुम्हारे हित की ही कहते हैं क्योंकि अभक्ष्य खाने से और खाने के भाव से आत्मा का पतन होता
सुबोध – तो कौन-कौन से पदार्थ अभक्ष्य हैं ? प्रबोध – जिन पदार्थों के खाने से त्रस जीवों का घात होता हो या बहुत से
स्थावर जीवों का घात होता हो तथा जो पदार्थ भले पुरूषों के सेवन करने योग्य न हों या नशाकारक अथवा अस्वास्थ्यकर हों, वे सब
अभक्ष्य हैं। इन अभक्ष्यों को पांच भागों में बांटा जाता है। सुबोध – कौन-कौन से ? प्रबोध – १. त्रसघात ३. अनुपसेव्य ५. अनिष्ट
२. बहुघात ४. नशाकारक
जिन पदार्थों के खाने से त्रस जीवों का घात होता हो उन्हें त्रसघात कहते हैं, जैसे पंच उदुम्बर फल। इनके मध्य में अनेक सूक्ष्म स्थूल त्रस जीव पाये जाते हैं, इन्हें कभी नहीं खाना चाहिए।
जिन पदार्थों के खाने से बहुत (अनंत) स्थावर जीवों का घात होता हो उन्हें बहुघात कहते हैं। समस्त कंदमूल जैसे आलू, गाजर, मूली, शकरकंदी, लहसन, प्याज आदि पदार्थों में अनंत स्थावर निगोदिया जीव रहते हैं। इनके खाने से अनंत जीवों का घात होता है, अतः इन्हें भी नहीं खाना चाहिये।
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