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हम दोनों गुरुभाईयों के नाम से निर्मित ग्रन्थ देखकर सोचा। यदि एक ग्रन्थ पिता के नामका हो तो बडा सुख होगा । (७)
आज अपनी शक्ति और बुद्धि के अनुसार वह स्वप्न पूरा किया । पिता के द्वारा प्रदत्त समस्त बोध उन्हीं के नाम लिखा है । (८)
दोनों प्राचीन ग्रन्थ परमज्ञान से प्रकाशित है । मैंने उनका विनम्र अनुकरण किया है। मेरा उन दोनों से क्या सादृश्य हो सकता है ? (९)
सौभाग्यशालिनी माता जयादेवी प्रसन्न हों। यह ग्रन्थ उनके स्वाध्याय में सहायक सिद्ध हो । (१०)
श्लोकादिपदसूचिः
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