________________
नया सागर शुरु होता है। यह सागर तो इस द्वीप से भी दुगुना होता है। इसका अर्थ क्या हुआ ? समझ गये आप ?
पहले सागर से दूसरा सागर चार गुना बड़ा होता है। यह सागर चारों ओर से जहाँ पूरा होता है वहाँ फिर से जमीन आती है, द्वीप शुरू होता है । यह द्वीप सागर से दुगुना ही होता है । यह तीसरा द्वीप हुआ ।
द्वीप
boy.pm5 2nd proof
सागर
द्वीप
सागर
द्वीप
इस प्रकार द्वीप और समुद्र, द्वीप और समुद्र की असंख्य गिनती चलती ही रहती हैं, सबसे अन्त में समुद्र आता है, उसकी चौड़ाई और लम्बाई सबसे बड़ी होती है । परन्तु हमको अभी उस समुद्र की बात नहीं करनी । हम तीसरे द्वीप पर रूके हुए है । उसकी बात करेंगे, एक से तीन द्वीप तक पहुँचने के
बालक के जीवविचार • ४७
लिए बीच में दो समुद्र पार करने पड़ते हैं ।
१. पहले द्वीप का नाम है जम्बूद्वीप । यह द्वीप थाली जैसा गोल आकार में है ।
२.
पहले समुद्र का नाम है लवणसमुद्र । इसका आकार कंगन जैसा गोल है ।
३. दूसरे द्वीप का नाम है धातकी खण्ड । इस द्वीप का आकार कंगन जैसा गोल है ।
४. दूसरे समुद्र का नाम है कालोदधि समुद्र । इस समुद्र का आकार कंगन जैसा गोल है ।
५.
तीसरे द्वीप का नाम है पुष्करवर । इस द्वीप का आकार कंगन जैसा गोल है ।
पुष्करवर द्वीप, धातकीखण्ड और अन्य द्वीप कंगन जैसे गोल आकार में होते हैं। तो लवणसमुद्र, कालोदधि समुद्र और अन्य समुद्र भी कंगन जैसे गोल आकार में ही है। केवल जम्बूद्वीप का आकार ही थाली जैसा गोल है। पुष्करवर द्वीप के बीचो-बीच एक पर्वतमाला है। यह पर्वतमाला भी कंगन की तरह गोल आकार में सम्पूर्ण पुष्करवर के बीचो-बीच फैली हुई है। इस पर्वतमाला के कारण पुष्करवर द्वीप के दो विभाग हो जाते है, एक विभाग तो कालोदधि समुद्र को छूता है, दूसरा विभाग तीसरे समुद्र को छूता है ।
पुष्करवर द्वीप के मध्य पर्वतमाला से आगे मनुष्य होने की सम्भावना नहीं है । इसलिए यह पर्वतमाला मानुषोत्तर पर्वत के नाम से पहचानी जाती है । विशेष बात तो यह समझनी थी कि जम्बूद्वीप से लेकर मानुषोत्तर पर्वत तक के विस्तार को मनुष्य लोक कहा जाता है। इसमें १. जम्बूद्वीप, २. धातकीखण्ड, ३. पुष्करवर का पहला भाग समाविष्ट है ।
मनुष्य गति में जन्म लेने वाले इस मनुष्य लोक में ही जन्म लेते हैं । मनुष्य गति में जन्म लेने वाले इस मनुष्य लोक में ही मरते हैं । मनुष्य लोक को ढाइ द्वीप के नाम से भी पहचानते हैं ।
४८ • बालक के जीवविचार