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१५. तेइन्द्रिय
अनुभव करने की शक्ति में जिसके पास बेइन्द्रिय से एक इन्द्रिय ज्यादा होती है, वह तेइन्द्रिय जीव कहलाते हैं ।
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तेइन्द्रिय के पास अनुभव पाने की तीन शक्तियाँ है ।
१. स्पर्श का अनुभव पाने की शक्ति, चमडी स्पर्शनेन्द्रिय ।
२. स्वाद का अनुभव पाने की शक्ति, जीभ रसनेन्द्रिय ।
३. गन्ध का अनुभव पाने की शक्ति, नाक घ्राणेन्द्रिय ।
तेइन्द्रिय त्रस है। वो अपनी मरजी से हलन चलन कर सकते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। नापसंद जगह को छोड़कर मनपसंद जगह तक पहुँच सकते हैं ।
तेइन्द्रिय जीवों को बहुत पैर होते हैं। तेइन्द्रिय जीव घर में भी जन्म ले सकते हैं, तेइन्द्रिय जीव गन्दकी में भी जन्म ले सकते हैं, तेइन्द्रिय जीव सिर के बालों में भी जन्म लेते हैं ।
तेइन्द्रिय जीव लकडियों में, जंगलों में और जमीन पर भी जन्म ले सकते
हैं ।
तेइन्द्रिय जीवों को अपने जीवन या अपने शरीर के साथ कोई खेल करे तो उनको अच्छा नहीं लगता। अपने जीवन या अपने शरीर को नुकशान हो तो उनको बहुत वेदना होती है ।
हम तेइन्द्रिय जीवों की पहचान कर लें, उनको पीड़ा न पहुँचे उस तरह से रहना निश्चित कर ले तो हमारा धर्म सफल गिना जाता है ।
खटमल, मकोड़ा, जू, उधर, ढोला इन्द्रगोप गोकळगाय, कानखजूरा, घीमेल, गधैया, कंथुवा, इल्ली, चिटी, गींगोडा, कीडे (गोबर के कीडे, धान्य के कीडे) गोपालिका, गोवालण ये और अन्य दूसरे सभी तेइन्द्रिय मिले उन सभी को जीवदया की द्रष्टि से देखना । उनको तकलीफ हो, उनके जीवन को उनकी अनुभव शक्ति को, उनके शरीर को हमारे हाथों से नुकशानी हो तो विराधना का पाप लगता है। मैं जैन हूँ, तेइन्द्रिय जीवों की विराधना से मैं बचता रहूँगा ।
बालक के जीवविचार • २३
१५. चउरिन्द्रिय
अनुभव करने की शक्ति में जिसके पास तेइन्द्रिय से एक इन्द्रिय ज्यादा होती है, वह चउरिन्द्रिय कहलाते हैं ।
चरिन्द्रिय के पास अनुभव पाने की चार शक्तियाँ हैं ।
१. स्पर्श का अनुभव पाने की शक्ति
जीभ, रसनेन्द्रिय ।
२. स्वाद का अनुभव पाने की शक्ति ३. गन्ध का अनुभव पाने की शक्ति नाक, घ्राणेन्द्रिय । ४. देखकर अनुभव पाने की शक्ति आँख, चक्षुरिन्द्रिय । चउरिन्द्रिय त्रस है। वो अपनी मर्जी से हलनचलन कर सकते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं। नापसंद जगह को छोड़कर मनपसंद जगह तक जा सकते हैं ।
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चामडी, स्पर्शनेन्द्रिय ।
चरिन्द्रिय जीवों को बहुत पैर होते हैं । चउरिन्द्रिय जीवों में किसी को पाँखे भी होती है । चउरिन्द्रिय में कोई डंख भी मारता है। चउरिन्द्रिय जीव कोई जंगल में जन्म लेते हैं। कोइ गन्दकी में जन्म लेते हैं। कोई खेत में भी जन्म लेते हैं ।
२४ • बालक के जीवविचार
चउरिन्द्रिय जीवों को अपने जीवन या अपने शरीर के साथ कोई खेल करें तो उनको अच्छा नहीं लगता । अपने जीवन या अपने शरीर को नुकशान हो तो उन्हें अच्छा नहीं लगता । इससे उनको वेदना होती है ।
हम चउरिन्द्रिय जीवों को पहचानकर उनको वेदना न हो उस प्रकार रहने का निश्चित कर लें तो हमारा धर्म सफल गिना जाता है ।
बिच्छु, भमरें, मधुमक्खियाँ, मक्खी, मच्छर, डांस, तीड, कंसारी, खडमांकडी, तितलियाँ, ये और अन्य दूसरे सभी चउरिन्द्रिय जीवों की पहचान कर लेनी चाहिये । जितने जीवों की पहचान हो उन सभी को जीवदया की दृष्टि से देखने चाहिये । उनको तकलीफ हो, उनके जीवन को उनकी अनुभव शक्ति को, उनके शरीर को हमारे हाथों से नुकशान हो तो विराधना का पाप लगता है । मैं जैन हूँ, चउरिन्द्रिय जीवों की विराधना से मैं बचता रहूँगा ।