________________ वही, पृ. 183-184. 112 वही, पृ. 184. 113 वही, पृ. 213. 114 वही, पृ. 213-214. 115 बी. रसेल, हिस्ट्री ऑफ वेस्टर्न फिलॉसफी, पृ. 698. 116 वही, पृ. 698. 117 वही, पृ. 699. // एफ.एस. ब्रैडले (अनुवादक-डॉ. फतेहसिंह), आभास और सत्, हिन्दी समिति सूचना विभाग, ___ लखनऊ, 1964 ई., पृ. 44 119 उद्धत, बी.एन.राय, टेक्स्ट बुक ऑफ इन्डक्टिव लॉजिक, पृ. 173 12वही, पृ. 173 वही, पृ. 174 122 वही, पृ. 159 123 वही, पृ. 191 124 वही, पृ. 191 125 वही, पृ. 194 पृ. 135 वही, पृ. 170 128 वही, पृ. 171 129 डॉ. एस. राधाकृष्णन् (अनुवादक स्व. नन्दकिशोर गोमिल), भारतीय दर्शन (भाग-1), राजपाल एण्ड सन्स, दिल्ली-6, 1973, प्रस्तावना, पृ. 6. 130 श्री वादरायण (वेद व्यास), श्रीमदभगवद् गीता, अध्याय-16, श्लोक-चतुर्थ 131 वही, श्लोक-14वां 132 डॉ. (श्रीमती) लक्ष्मी सक्सेना (संपा.), समकालीन पाश्चात्य दर्शन, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, 1991, पृ. 203. 133 सी.ई.एम. जोड, गाइड टू फिलॉसफी, पृ. 285. 134 श्री वादरायण (वेद व्यास), श्रीमद्भगवद् गीता, अध्याय-2, श्लोक-7 135 वही, अध्याय-18, श्लोक-78 136 वही, अध्याय-18, श्लोक-50 137 गोस्वामी तुलसीदास, श्रीरामचरित्रमानस, बाल काण्ड, गीता प्रेस, गोरखपुर, संवत् 2040, पृ. 92. 1.38 श्री वादरायण (वेद व्यास), श्रीमद्भगवद् गीता, अध्याय-10, श्लोक-34 159 वही, अध्याय-4, श्लोक-38 140 वही, अध्याय-4, श्लोक-39 141 हरिमोहन भट्टाचाय, द प्रिन्सपुल्स ऑफ हिलॉसफी, कलकत्ता, 1959. 1- वही, अध्याय-4, श्लोक-38 14 वही, अध्याय-4, श्लोक-39 144 हरिमोहन भट्टाचाय, द प्रिन्सपल्स ऑफ हिलॉसफी, कलकत्ता, 1959. 145 वही. 173