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The thrid kind of Valid cognition is upamita and its means is called upm îna. It is knowledge derived from comparison and roughly corresponds to analogy. C.D. Sharma, A Critical Survey of Indian Philosophy, p. 203.
The fourth kind of valid knowledge is abda or îgama or or authoritative verbal testimony. Its means is also called 'abda. It is defined as the statement of actrust worthy person (îpta vîkya) and consists in understanding its meaning. A sentence is defined as a collection of words and a word is defined as that which is potent to convey its meaning.
-A Critical Survey of Indian Philosophy, p. 204.
54 पं. आनन्द झा, पदार्थ शास्त्र पृ. 101
55 तर्क संग्रह - अन्नंभट्ट
उपमितिकरणमुपमानम्। संज्ञा - संज्ञिसंबंधज्ञानमुपमितः । तत्करणं, सादृश्यज्ञानम् । तथा हि कश्चिद्गवय शब्दवाच्यमजानन् कुतश्चिदारण्यकपुरुषात् गोसदृशो गवयः इति श्रुत्वा वनं गतो वाक्यार्थ स्मरन गोसदृशं पिण्डं पश्यति । तदनन्तरं अयं गवच शब्दवाच्य इव्युपमितिरुप्पद्यते । इव्युपयानम् । अनुवाद - उपमिति का करण है उपमान। नाम और नामी के बीच होने वाले वाच्य - वाचक - भावात्मक संबंध का ज्ञान है उपमिति । उसका करण होता है सादृश्य का ज्ञान। जैसे गवय पशु से अपरिचित कोई व्यक्ति जब किसी अन्य व्यक्ति से "गवय गाय के जैसा होता है", ऐसा सुनकर वन जाने पर उक्त वाक्यार्थ का स्मरण करता हुआ गाय के समान पशु को देखता है, तो उसे होने वाला "गवय पद का वाच्य पशु यही है, यह ज्ञान उपमिति है।
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एम. हिरियन्ना ( अनुवादक डॉ. गोवर्धन, श्रीमती मंजु गुप्त श्री सुधीर चौधरी), भारतीय दर्शन की रूपरेखा, पृ. 319
57
A Primer of Indian Logic, p. 30.
58 'राधाकृष्णन, भारतीय दर्शन, भाग 2, पृ. 104
चट्टोपाध्याय एवं दत्त, भारतीय दर्शन, पृ. 130
60
A Primer of Indian Logic, p. 153.
61
कप्पूस्वामी, पृ.
62 कुप्पूस्वामी, पृ. 153.
Testimony and Authority (sabda)
Testimony means the evidence of reliable persons. The range of personal experience and inferences from personal experience is extremily limited. Authorityimplies power to influence opinion and induce belict.
B.N. Roy, Text Book of Deductive Logic, p. 7.
आप्रोपदेशः (प्रमाणशब्दः) - (क) यथादृष्टस्यार्थस्यचिरव्यापभिषया प्रयुक्तः शब्द:, (ख) प्रकृत वाक्यार्थ यथार्थ ज्ञान प्रयुक्तः शब्दः । अन्यथा आप्तो यथार्थ उपदेशः शब्द- बोधो यस्मात् । (गौ. वृ. 1/1/7)
यथा - ब्रह्म सूत्र न्याय सूत्रादि राप्तोपदेशः ।
न्यायकोशः, भीमाचार्य, बंदरकर ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना, 1978, पृ. 126 श्रोत्रग्राह्यो गुणः शब्दः, आकाश मात्र वृत्तिः । संद्विविधः, ध्वन्यात्मकः वर्णात्मकश्च । तंत्र ध्वन्यात्मकः भेर्थादौ । वर्णात्मकः संस्कृत भाषादिसपः । ।
-A Primer of Indian Logic, p. 10.
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