________________ कार्य-कारण-नियम की विवेचना दर्शन और विज्ञान दोनों के लिए एक ही समान महत्त्वपूर्ण है। खसकर भौतिक विज्ञान के सभी अनुसंधान प्रायः कार्य-कारण नियम के आधार पर अवलंबित है। दर्शन में इसकी विशद विवेचना मिल के सिद्धांत में पाते हैं। मिल का कहना है कि संसार की घटनाओं के पीछे एक-एक नियम काम कर रहा है, वह है प्रत्येक घटना, जो प्रारंभ होती है, उसका अवश्य ही कुछ न कुछ कारण होता है। इसी को कार्य-कारण का सार्वभौम नियम कहते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि संसार की घटनाएँ पृथक्-पृथक् और सब स्वतंत्र नहीं होती बल्कि आपस में एक-दूसरे से अटूट सम्बन्ध द्वारा बंधी रहती हैं। जो घटना इस समय हो रही है, उसके पूर्व कुछ विशेष परिस्थितियाँ उपस्थित होती हैं, उनके बिना वह नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए ग्रहण का लगना ज्वारभाटा का होना, ऋतु का बदलना, वर्षा का होना और पौधों का उगना, इन सभी कार्यों के होने के पूर्व कुछ विशेष परिस्थितियों का होना जरूरी है, जिनके बिना ये हो ही नहीं सकते और जिनकी उपस्थिति होने पर इनका न होना भी असंभव है। मिल ने कारण की परिभाषा देते हुए कहा है कि "कारण घटना का सदैव ही पूर्ववर्ती होता है अथवा उसकी पूर्ववर्ती घटनाओं से संबंधित रहता है। जिस पर वह घटना नियमित एवं अनौपाधिक रूप से काल के रूप में आधारित होती है।" जे.एस. मिल के कारणता-सिद्धान्त एवं डेविड ह्यूम के कारणतासिद्धान्त में बहुत कुछ समानता है। मिल ने ह्यूम के कारणता सम्बन्ध विचारों को अपने तरीके से विकसित करना चाहा है। मिल का यह सिद्धान्त वैज्ञानिकों और साधारण व्यक्तियों के लिए भी काफी महत्त्वपूर्ण माना गया है। मिल के अनुसार कारणता सिद्धान्त की तीन मान्यताएँ दीख पड़ती हैं(क) प्रत्येक घटना का कारण होता है। (ख) समान कारण से समान कार्य उत्पन्न होता है तथा (ग) कारण हमेशा कार्य का पूर्वगामी अथवा पूर्ववर्ती होता है। उपर्युक्त तीनों बातों में मिल एवं हम एक समान दीख पड़ते हैं। मिल का कहना है "कारण कार्य की एक पूर्ववर्ती अवस्था है, जिसके होने पर नित्यत और निरूपाधित रूप से कार्य उत्पन्न होता है।" उपर्युक्त तीन बातों में मिल एवं ह्यूम दोनों एक दीख पड़ते हैं। मिल का यह भी कहना है कि कारण कोई एक ही पूर्ववर्ती घटना नहीं है। यह अनेक पूर्ववर्ती घटनाओं का समूह है। इन अनेक पूर्ववर्ती घटनाओं में मिल शर्त या उपाधि कहते है। इस प्रकार कारण अनेक शर्तों (भावात्माक एवं निषेधात्मक) का योगफल है। "Cause is the sum-total of the conditions Positive and Negative taken together.' (1) भावात्मक उपाधियाँ वे हैं जिनकी उपस्थिति से कोई कार्य होता है। मान लें कि किसी ने एक आदमी को बन्दुक से मार दिया। इस उदाहरण में आदमी के मरने का कारण अनेक कारणांशों का योग है। इनमें भावात्मक Marwal भावात्माक एवं 117