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प्रभावित नजीवन में प्रयोग कर जो मानव जीवननिरपेक्ष नहीं
प्रभावित नजर आते हैं और उनसे विकसित भी। इन्होंने भी माना है कि व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करके ही किसी अनुभव या कथन की सत्यता की परीक्षा होनी चाहिए। सत्य वही है जो मानव जीवन के लिए उपयोगी हो। इनके अनुसार भी सत्य को अपरिवर्तनशील, स्थायी एवं निरपेक्ष नहीं कहा जा सकता है। यह परिवर्तनशील और सापेक्ष है। एस.सी. चटर्जी के शब्दों में ""This distinction between truth and truth claim is not absolute. it is a matter of degree." "True is the name for whatever idea starts the varification-process, useful is the name for its completed function in experience...106
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