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व्रतोद्यापन। [१२५ आदिदेव तप कृत पर कारित ।
मास सु त्रय य तप धारित ॥ पर तपवंत मुनीश्वर सुंदर ।
परतपर्वत सुशान्ति सु मन्दिर ॥ १ ॥ परतपवंत गणधर देवसु शंकर।
परतपवंत चारणमुनि नभ संचर ।। परतपयंत मु इन्द्र पदाधिप ।
परतपवंत फणेन्द्र सुराधिप ॥ ३॥ परतपवंत सुजयंत सुगामि ।
परतपवंत चक्रधर स्वामी ॥ परतपवंत परीपह सूरी।
परतपवंत सुशील सुपूरी ॥४॥ तपतपवंत सु एक दिनांतर ।
परतपवंत सुपक्ष मासकर ॥ परतपवंत सु एक कवल पर।
परतपर्वत परीषह जिन पर ॥ ५॥ परतपर्वत कुन्द मुनि सूरा।
परतप जिनवर गणधर तीरा ॥ परतप गति सुरपद धारी। .
· परतपगतां सुमति पदकारी ।। ६ । ' परतपवंत मुनिवर सन्ता। : ... . ..
गंता. ते मुनि मुक्ति महा श्री ॥ "..