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________________ १०२] 4011111 श्रीदशलक्षण धर्म 1 दहमी अभयरण जाणिज्जइ संयमसहियजिदि भणिज्जइ ॥ ४ ॥ एकादहीमणिकुण्डल निम्मल परतव सहकिज्जत विमल । बारसि चितारयणसमुज्जल दाण सुपत्तहं दिज्जइ सुहजल ॥ ५ ॥ तेरसि लोयतिलय महिमायर आकिंचणगुण सहियं गुणभरं । चौदसिभ तिलयमहि मणोहर वंभर गुण भरिओ सुहकर ॥ ६ ॥ णाम सहिय सुदिण दह लक्खण पुव्र्व्वकिय भरहेण सुलक्खण | बाहुवले सुकीय सुविचक्षण सिरिजयकुमर लहियफलदक्खण ॥ ७ ॥ महावल लोहजंग वयधारी रयणं गदरथणप्पहकारी | अजित जय जय विजयमणोहर ललियंगउ वज्र्जंग वथकर ॥ ८ ॥ चितागण होह मणोगह अमितगइ तह कियउ चपलगड़ । मणोवेग वय धरिउ चपलगइ विज्जकुमर चितंगमरवर ॥ ९ ॥
SR No.009498
Book TitleDash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size6 MB
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