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श्रीदशलक्षण धर्म 1
दहमी अभयरण जाणिज्जइ
संयमसहियजिदि भणिज्जइ ॥ ४ ॥
एकादहीमणिकुण्डल निम्मल
परतव सहकिज्जत विमल ।
बारसि चितारयणसमुज्जल
दाण सुपत्तहं दिज्जइ सुहजल ॥ ५ ॥ तेरसि लोयतिलय महिमायर
आकिंचणगुण सहियं गुणभरं ।
चौदसिभ तिलयमहि मणोहर
वंभर गुण भरिओ सुहकर ॥ ६ ॥ णाम सहिय सुदिण दह लक्खण
पुव्र्व्वकिय भरहेण सुलक्खण | बाहुवले सुकीय सुविचक्षण
सिरिजयकुमर लहियफलदक्खण ॥ ७ ॥
महावल लोहजंग वयधारी
रयणं गदरथणप्पहकारी | अजित जय जय विजयमणोहर
ललियंगउ वज्र्जंग वथकर ॥ ८ ॥ चितागण होह मणोगह
अमितगइ तह कियउ चपलगड़ ।
मणोवेग वय धरिउ चपलगइ
विज्जकुमर चितंगमरवर ॥ ९ ॥