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KINNAR
जिनवाणी के अनुसार अरहंतादि का निश्चय
नाममात्र जैनी जिनदेव का यथार्थ स्वरूप नहीं जानते।
देव और गुरु के निर्णय के कार्य में भोला रहना योग्य नहीं है।
IALA
निकट
भव्यों को ही अरहंतादि के स्वरूप का विचार होता
मिथ्या
दृष्टियों को अरहंतादि
की प्राप्ति होना दुर्लभ
SHAA