________________
कई
अज्ञानी जीव तो कुलक्रम के अनुसार जैसा बड़े करते आये वैसा करते हैं, कुछ निर्णय नहीं कर सकते और कई शुद्ध जीव जिनराज के मत में आसक्त हैं अर्थात जिनवाणी के अनुसार निर्णय करके जिनधर्म को धारण करते हैं सो इनके अन्तरंग में बड़ा अंतर है। बाह्य में तो ये एक से दिखाई देते हैं परन्तु परिणामों में बड़ा
अंतर है।
जिसकी सहायता से जिनधर्मी धर्म का सेवन करते हैं वह पुरुष धन्य
है।
मिथ्या पर्यों के स्थापकों का नाम भी लेना पाप बंध
का कारण
olo
है।
छह काय के जीवों की रक्षा करने में जो माता के समान जो जिनधर्म उसका अत्यन्त उदय नहीं होता सो इस निकृष्ट काल में उपजे जीवों का अति पाप का माहात्म्य है अर्थात् इस निकृष्ट काल में ऐसे भाग्यहीन जीव उत्पन्न होते हैं। जिनको जिनधर्म की
प्राप्ति दुर्लभ
१७६